सेक्स विद फ्रेंड वाइफ एंड सिस्टर का मजा मैंने तब लिया जब मेरा दोस्त मुझे अपने गाँव लेकर गया. दोस्त अपनी सेटिंग को चोदने चला गया तो पीछे से उसकी बीवी …
दोस्तो, मैं राजा त्यागी एक बार फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूँ.
आपके ईमेल मुझे बता रहे हैं कि आपको Antarvasna Sex Story पढ़कर मजा आ रहा है
अब आगे सेक्स विद फ्रेंड वाइफ एंड सिस्टर का मजा:
हम दोनों उसके घर की ओर निकल पड़े.
स्टेशन के बाहर से बस मिल गई.
करीब 45 मिनट बाद हम गांव पहुंच गए.
उसका घर काफी बड़ा था.
हम दोनों अन्दर आ गए.
मुझे उसकी बहन दिखी.
साली बला की खूबसूरत थी.
वो आते ही अपने भाई के गले लगी, काफी खुश थी, फिर रोने लगी.
उसने मां का हाल बताया.
तब तक उसके बच्चे भी आ गए.
वो भी अपने पापा से चिपक गए.
ये सब शोर सुनकर उसकी बीवी भी बाहर आई.
उसे भी मेरे दोस्त ने गले लगाया.
फिर हम सब अन्दर आ गए.
उसकी मां के कमरे में पहुंचे.
मां बीमार थी, पर बात कर सकती थी, बस चल फिर नहीं सकती थी.
उनके हाल-चाल पूछ कर मैं नहाने आ गया.
नहा कर बाहर आते ही उसकी बहन सामने खड़ी थी. वो मुझे देख कर शर्मा रही थी.
वो बोली- नाश्ता करने आ जाइए.
इतना कह कर भाग गयी.
मैं बाहर आया और देखा कि दोस्त उसकी बीवी नाश्ता लगा रही थी.
मैंने गौर किया कि मेरा दोस्त नहीं दिख रहा था.
मैंने पूछा- भाभी, सुनील नजर नहीं आ रहा है?
वो बोली- वो नहाने नदिया पर गए हैं.
मैं बोला- ओके उस आ जाने दो, फिर नाश्ता करते हैं.
तो वो बोली- उनकी राह देखना गलत होगा, वो अब जल्दी नहीं आएंगे. आप नाश्ता करके आराम कर लेना.
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मैं बैठ गया और नाश्ता करने लगा.
उसकी बीवी मेरे बगल में खड़ी होकर मुझे परोसने लगी.
दोस्त की बहन सामने बैठी थी. बच्चे भी बैठे थे.
उसकी बहन टेबल के नीचे से मेरे पैर को अपना पैर छुला रही थी.
मैंने उसकी बहन को देखा तो वो नाश्ता करने का नाटक कर रही थी.
इस हरकत से मेरा लंड खड़ा हो गया, वो और आगे सरक कर गयी.
अब उसका पैर मेरे लंड तक पहुंच गया.
वो पैर ऊपर नीचे करने लगी, मेरा हाल बुरा था क्योंकि लंड अकड़ने लगा था.
सबने नाश्ता परोस लिया था और खाने लगे थे.
उसकी बीवी मुझे परोस कम रही थी और अपने स्तन मेरे बदन से ज्यादा घिस रही थी.
मैं भी मजा ले रहा था.
परोस होने के बाद मैं खाने लगा.
वो फिर भी अपने स्तन मुझ पर दबा रही थी.
ये सब उसकी बहन को समझ आ रहा था इसी लिए वो मुँह दबाए हंस रही थी.
पर मेरी नजर मिलते ही नीचे देखने लगती.
मैं मजा लेने में मस्त था.
कुछ देर में नाश्ता हो गया.
मैं हाथ धोने के लिए बाथरूम की ओर गया.
उसकी बीवी मेरे पीछे आयी और हाथ पर पानी डालने लगी.
फिर अपना पल्लू आगे किया ताकि मैं हाथ पौंछ लूँ.
मैंने पल्लू लिया और हाथ पौंछते हुए बोला- भाभी, आप बहुत अच्छी हो.
वो हंस दी.
मैंने पल्लू छोड़ कर उसका हाथ पकड़ लिया.
वो शर्मा गई, पर कुछ ना बोली.
मैं बोला- भाभी, आपको बुरा तो नहीं लगा?
तो उसने ना में सर हिलाया.
मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने भाभी को अपने पास खींचते हुए कहा- मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो. क्या मैं थोड़ा सुनील का अधिकार इस्तेमाल कर लूँ. आखिर वो मेरा दोस्त है और उस पर मेरा भी अधिकार है, जो मेरे दोस्त की है.
भाभी शर्माती हुई हंसने लगी.
मैंने पीछे से उसे कसके पकड़ लिया और कहा- भाभी आपके होंठ बडे प्यारे हैं.
ये कह कर मैंने हाथ आगे बढ़ा दिए और उसके स्तनों को दबोच लिया था.
वो कुछ नहीं बोली.
मेरी नजर दरवाजे पर गयी.
वहां दोस्त की बहन हम दोनों को देख रही थी.
मैं एक बार को डर गया और भाभी को छोड़ कर पीछे हट गया.
भाभी ने मुझे देखा और आंखों से ही पूछा कि क्या हुआ?
मैंने इशारे से दरवाजे पर खड़ी उसकी ननद को दिखा दिया.
मुझे लगा वो डर जाएगी. पर वो बोली- अरी छुटकी, आ जा अन्दर.
अब डरने की बारी मेरी थी.
मैं पीछे हट गया.
‘अरे डरिए नहीं, अंजु मेरी ननद भी है और मेरी सहेली भी है. किसी से कुछ नहीं कहेगी.’
फिर मैं बोला- भाभी, आप का नाम क्या है?
तो वो बोली- शर्मीली.
मैं बोला- मैं आपको क्या बुलाऊं?
वो बोली- सबके सामने भाभी और अकेले में जो तुम्हें पसंद हो, शर्मीली भी बुला सकते हो.
मैं बोला- अच्छा शर्मीली, सुनील कब तक आएगा?
अंजु बोली- भैया शिकार करने गए होंगे.
ये कह कर वो भाभी की तरफ देख हंसने लगी.
मैं बोला- शिकार?
तब अंजु बोली- गए होंगे मुखिया की बहू को पेलने. गांव की गोरी है पर मेरे भैया से ही पिलवाती है वो … और किसी को नजदीक आने भी नहीं देती.
मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी.
मैंने दोनों का हाथ पकड़ा और पास खींच लिया.
अब तक मेरी समझ में आ गया था कि ये दोनों एक दूसरे की राजदार हैं और दोनों ने साथ में बहुत गुल खिलाए हैं.
मैं उन दोनों को नजदीक खींचते हुए बोला- मैं किस से शुरूआत करूं?
अंजु बोली- भाभी को ही पेलो पहले … बहुत दिनों तक ये भूखी रही हैं.
शर्मीली शर्मा गयी.
‘पर अभी सुनील आ गया है ना!’ मैं बोला.
अब शर्मीली बोली- वो तो रात को करेंगे. तुम अभी …
इतना बोल कर वो शर्मा गई.
मैं बोला- अंजु के सामने कैसे?
वो बोली- ये भी तो साथ देगी हमारा.
मैंने शर्मीली को फिर से अपनी बांहों में ले लिया और उसके चुचे दबाने लगा, उसकी गर्दन को किस करने लगा.
एक हाथ से अंजु को भी अपने पास खींच लिया और उसके भी चुचे को दबाने लगा, पर उसके आम थोड़े छोटे थे.
मैंने शर्मीली की चोली खोल दी, ब्रा भी खोल दी और उसके एक निप्पल को मुँह में ले लिया.
वो आह आह करने लगी.
अब मैं एक हाथ से अंजु के चुचे दबा रहा था और शर्मीली के एक चुचे को चूस रहा था.
उसकी चूची में अभी भी दूध आ रहा था.
एक एक करके मैंने उसके दोनों चुचे चूस चूस कर खाली कर दिए, फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा.
वो भी साथ दे रही थी.
कुछ देर बाद मैंने भाभी को उठाया और बगल में लगी टेबल पर लिटा दिया.
अंजु सब देख रही थी.
मैंने भाभी की साड़ी ऊपर करके दोनों टांगों को फैला दिया.
अब मेरे सामने शर्मीली की चुत खुली थी.
मैं बोला- शर्मीली, तुम चड्डी नहीं पहनती हो क्या?
वो हंस कर बोली- आज आपको देनी थी तो नहीं पहनी थी.
मैंने अंजु को देखा तो वो मुस्कुरा दी.
मुझे पता चल गया कि आज इन दोनों ने मेरा शिकार किया है.
पर मुझे फर्क नहीं पड़ा.
मैं वापस से भाभी की चुत को देखने लगा.
क्या गोरी मलाई सी चुत थी … मेरे मुँह में पानी आ गया.
मैंने चुत को चाटना चालू कर दिया.
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शर्मीली के मुँह से वासना भरी सिसकारियां निकलने लगीं.
अंजु सब देख रही थी और अपनी चुत अपने हाथ से कुरेद रही थी.
मैं शर्मीली की चुत को चाटने में व्यस्त था, उस चुत की फांकों को अपनी जुबान से फैलाए जा रहा था.
कभी फांकों को होंठों से खींचता, तो शर्मीली और जोर से कराह उठती.
मैं कभी अपनी जुबान उसकी चुत के भीतर घुसा देता.
कभी पीछे के होल से लेकर आगे की तरफ आता और उसकी चूत के दाने को मसल देता.
वो कांप जाती और थरथरा उठती.
उत्तेजना में मेरे सर के बाल पकड़ती और अपनी चुत पर सर को दबा देती.
फिर बोली- सुनो, अभी रहा नहीं जाता, अब अपना लंड अन्दर डाल दो.
मैंने अंजु को अपने पास खींच कर नीचे बिठाया और पजामा खोल कर अपना लंड उसके सामने कर दिया.
उसके मुँह से एकदम से घबराई हुई आवाज आयी- उई दैया … कितना बड़ा लंड है.
उसने आह किया और मैंने उसके मुँह में अपना औजार घुसेड़ दिया.
वो गुंग गुंग करके लंड चूसने लगी.
मेरा लंड उसके मुँह में और फूल गया.
वो लंड चूसने लगी. लंड गीला हो गया.
मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसे शर्मीली की चुत पर सैट कर दिया.
अभी शर्मीली भाभी सम्भल पाती कि मैंने एक करारा धक्का लगा दिया.
गीली चुत में मेरा पूरा का पूरा लंड एक ही धक्के में जड़ तक जा पहुंचा.
मेरा झटका बहुत झन्नाटेदार था.
भाभी की आंख से आंसू आ गए पर चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान भी थी.
मैंने धक्के लगाने चालू कर दिए.
हर धक्के पर वो मेरा साथ दे रही थी.
मैं चुदाई के साथ साथ उसके चुचे चुस भी रहा था और उन्हें मसल भी रहा था.
भाभी मुँह से आह आह किए जा रही थी.
मैं भी उसकी हर आह पर धक्का मार रहा था.
करीब 15 मिनट बाद मैंने उस पलट दिया.
अब मैं उसके पीछे हो गया.
मैंने अपना थूक उसकी गांड पर मला, उंगली को अन्दर भी धकेला और अपने लंड को सैट कर दिया.
लंड सैट करते ही मैंने उसकी कमर को कसके पकड़ा और एक जोरदार धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड उसकी गांड में जाकर फंस गया.
वो जोर से चिल्लायी, पर तीर घुस चुका था.
रोने लगी वो!
मैं थोड़ा रुक गया.
अंजु उसका पसीना पौंछ रही थी.
मैंने शर्मीली को बोला- अब सिर्फ आधा बाकी है, थोड़ा सह लेना.
मैंने कसके दूसरा धक्का मारा. मेरा पूरा लंड अपने निशाने पर घुस चुका था.
गांड का छेद फैल चुका था.
मैं बिना रुके उसकी गांड को चोदे जा रहा था.
करीब 15 मिनट हुए होंगे कि मेरा माल निकलने को हो गया.
सेक्स विद फ्रेंड वाइफ के बाद मैं भाभी की गांड में ही डिस्चार्ज हो गया.
मेरा लंड बाहर निकल आया, मुरझा गया था.
मैंने उसे साफ किया.
शर्मीली वहीं बैठ गयी, उसकी गांड दर्द कर रही थी.
मैं बोला- भाभी सॉरी, पर मैं दोनों छेद से पेलता हूँ.
अंजु देख कर हंस रही थी.
मैंने अंजु का हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और उससे पूछा- तुम दोनों कब से एक दूसरे को संभाल रही हो?
वो बोली- मेरा एक हीरो है, भाभी ने हमें रंगे हाथ पकड़ा था. गन्ने के खेत में … तब मेरे हीरो ने भाभी को भी ठोका था, तब से हम दोनों राजदार बन गए.
मैं बोला- तुझे इच्छा नहीं हुई मुझसे चुदवाने की?
वो बोली- हां हुई … पर भाभी की हालत देख डर लग रहा है. तुम्हारा औजार बहुत बड़ा है, मेरी तो तुम फाड़ ही दोगे.
मैं बोला- नहीं, तुझे मैं आराम से प्यार से चोदूँगा. पर तेरे हीरो का क्या मुझसे छोटा है?
वो बोली- आपसे आधा ही होगा और वो दस मिनट भी नहीं टिकता.
‘अच्छा उसकी कोई बहन है क्या?’
वो बोली- हां है ना, मेरी सहेली है मुझे चिढ़ाती है.
‘तू मुझे उससे मिला देगी? मैं उस पेलूँगा फिर तू उसे चिढ़ाना.’
तो वो खुश हो गई.
मैंने झट से उसके होंठों का किस कर लिया.
वो शर्मा गई.
मैंने उसके चुचों को दबाया सहलाया, निप्पल को दबा दबा कर खींचा, गर्दन पर किस करने लगा, उसके गले की नस को काटने लगा, कान के पीछे जुबान घुमाने लगा.
अंजु का धैर्य खो गया और वो मचलने लगी.
मैंने उसको भी नीचे से नंगी कर दिया.
शर्मीली भाभी सब देख रही थी.
मैंने उससे नजरों से ही इजाजत मांगी.
उसने भी गर्दन हिला कर हां बोल दी.
मेरे लौड़ा फिर से तैयार हो गया.
मैं उसकी चुत को चाटता रहा, उंगली घुसा घुसा कर अन्दर का रस निकाला.
वो थरथराने लगी और बह गयी.
मैंने भी तुरंत उस चिकनाई का इस्तेमाल कर अपना लंड सैट कर दिया और एक ही धक्के में अन्दर ठेल दिया.
मेरा पूरा लंड घुस नहीं सका, बीच में जाकर ही कहीं अटक गया.
अंजु की आंखें बड़ी हो गईं, मुँह रोने जैसा हो गया.
वो दर्द से तड़फ कर बोली- भाई निकालो … मेरी फट जाएगी. मैं नहीं सह सकूंगी … आह जल्दी से निकालो, मैं मर जाऊंगी.
मैंने शर्मीली भाभी से इशारे में पूछा- पेल दूँ पूरा?
वो बोली- पेलो, कभी ना कभी तो फटना ही है. जब इसका हीरो मुझ पर चढ़ रहा था, तब साली बड़ा मजा ले रही थी. ठोको इसको!
बस मैंने एक जोर का धक्का मारा और लंड सब बाधाएं चीरता फाड़ता हुआ उसकी बच्चेदानी तक पहुंच गया.
अंजु की चीख निकाल गयी.
शर्मीली भाभी ने जल्दी से उसका मुँह दबा दिया और बोली- चुपचाप चुद ले … अम्मा जाग जाएगी.
अंजु छटपटाने लगी पर मेरी पकड़ मजबूत थी.
कुछ देर बाद अंजु नॉर्मल हो गई.
मैंने आहिस्ता आहिस्ता धक्का देना चालू कर दिया.
अब तक उसका रस भी निकल चुका था जिससे मस्त फिसलन बन गयी थी.
अब अंजु भी मजा ले रही थी.
मैंने धक्के तेज किए और जोर जोर से ठोके जा रहा था.
अंजु भी उछल उछल कर चुद रही थी. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा.
एक हाथ उसके चुचों पर रख दबाने लगा और जोर जोर से मसलने लगा.
अंजु इन सबसे एकदम से कामुक हो गयी और बह गयी.
उसका रस इतना ज्यादा था कि उसकी टांगों के ऊपर से नीचे पैरों तक बह गया.
चुत की चिकनाहट से मुझे और आसानी हो गई.
मैंने उसे खड़ा किया, उसकी एक टांग मैंने अपने हाथों में लेकर नीचे से अपना लंड उसमें घुसा दिया और जम कर ठोकने लगा.
कुछ ही देर में मैंने उसे पूरा उठा लिया और कमर पर रख ठोकने लगा. हाथों से ऊपर उठा कर उसे अपने लंड पर बिठाने लगा.
ठप्प ठप्प की आवाज आने लगी.
अंजु भी साथ देने लगी.
दस मिनट बाद अंजु ने मुझे कसके पकड़ा और एक चीख के साथ फिर बह गयी.
पर मेरा ठोकना जारी था.
अब उसे चित लिटा कर मैं उसके पीछे आ गया और पीछे से उसकी चुत में अपना लंड डाल दिया.
वो ऊपर उठने लगी, पर मैंने उसे उठने नहीं दिया और पेलता रहा.
दस मिनट बाद फिर से अंजु ने अपनी दोनों मुट्ठी भींच लीं.
हम दोनों साथ में डिस्चार्ज हो गए.
उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गयी.
मैं अंजु के ऊपर ही लेट गया.
मेरा लंड बाहर निकल आया और मेरा माल उसकी चूत से निकल कर जमीन पर गिरने लगा.
हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं, हमारे दिल जोरों से धड़क रहे थे.
करीब 5 मिनट बाद हम दोनों नॉर्मल हुए.
मैं उसके ऊपर से उठ कर कपड़े पहन कर बाहर निकल गया.
बाहर रखी चारपाई पर बैठ गया.
मेरे पीछे शर्मीली भाभी आयी और बोली- विशू जी, आप कसम खाइए कि हमारा ये राज राज ही रहेगा. आप सही में एक तगड़े मर्द हैं. हम दोनों को ठंडा करना किसी एक मर्द का काम नहीं है. पर खूब मजा आया. अभी बहुत दिन है. आपके दोस्त तो यहां के हीरो हैं, आपको नयी नयी लड़कियां बहुत मिल जाएंगी. पर हमें मत भूलना. हम आपके दीवाने हो गयी हैं.
ये कह कर भाभी अन्दर चली गयी.