नमस्कार दोस्तो, मैं राहुल एक सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मुझे भरे हुए बदन की आंटी चोदना बड़ी पसंद हैं.
एक आंटी थीं जो पेशे से एक टीचर थीं.
वो रोज मेरे सामने से निकलती थीं और मुझे बहुत सेक्सी लगती थीं.
मेरा मन करता था कि एक बार आंटी मिल जाएं तो लंड का काम बन जाए.
आंटी की 5 फुट 6 इंच की लम्बाई थी और बड़ा ही मादक जिस्म था.
उनकी छाती 36 इंच की थी, कमर 30 की और गांड 38 नाप की रही होगी.
वो बड़ी ही सेक्सी फिगर की मालकिन थीं.
रोज मेरे मोहल्ले में वे पढ़ाने आती थी.
एक बार वो जाने के लिए किसी साधन का इन्तजार कर रही थीं.
मैं उसी समय अपनी बाइक से निकल रहा था तो मैंने उनको देखा और बाइक रोक दी.
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मैंने कहा- आंटी, आपको कहीं जाना है क्या?
उन्होंने अपने गंतव्य बताते हुए कहा- हां, मुझे जाना तो है लेकिन उधर के लिए कोई ऑटो ही नहीं आ रहा है.
मैंने कहा- मैं भी उधर ही जा रहा हूँ, अगर आपको चलना है, तो आप मेरे साथ आ जाओ.
उन्होंने कुछ पल सोचा फिर मेरे साथ बाइक पर बैठ गईं.
आंटी एक तरफ पैर करके बैठी थीं.
कुछ दूर निकलने के बाद मैंने आंटी से बातचीत शुरू की.
मैंने पूछा- आप क्या वहीं रहती हो?
मतलब मैंने आंटी से कैसे क्या … सब कुछ पूछा, जबकि मैं पहले से काफी कुछ जानता था.
उन्होंने सब बताया और ये भी कहा कि मैंने कई बार तुमको देखा है.
थोड़ी देर बाद उनका घर आ गया और उन्होंने मुझे बाइक रोक देने का कहा.
बाइक से उतरते ही आंटी ने मुझसे चाय पीकर जाने का कहा.
पहले तो मैंने मना किया, फिर हां कर दी और उनके घर में चाय पीने चला गया.
वो मुझे अन्दर ले गईं और गेस्टरूम में बैठा कर कपड़े चेंज करने के लिए कह कर अन्दर चली गईं.
थोड़ी देर बाद आंटी कपड़े बदल कर और चाय लेकर आ गईं.
हम दोनों में बातचीत होने लगी. मैंने आंटी से बातचीत करके अच्छी जान पहचान बना ली.
अब वो रोज ही जब मेरे घर के पास से निकलती थीं तो मेरी उनसे हाय हैलो होने लगी थी.
जब कभी उन्हें घर जाने का साधन नहीं मिलता था तो वो मुझसे घर छोड़ने के लिए भी कह देती थीं.
कुछ दिन के बाद मेरी जॉब भी उनके एरिया में ही लग गई.
अब मेरा उनके घर के पास जाने का रोज का तारतम्य बन गया था. मेरा उनको लेकर जाना होने लगा. उनके घर में भी मैं जब चाहे जाने लगा था, इससे मेरी उनसे काफी घनिष्ठता हो गई थी.
हाल यह था कि लगभग रोज ही मुझे उनके जिस्म की महक और स्पर्श मिलने लगा था.
आंटी भी मुझसे बहुत घुलमिल गई थीं और हर तरह की बातें करने लगी थीं.
हमारे बीच हंसी मजाक भी होने लगा था.
उन्होंने एक दिन मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- अरे आंटी, मुझे कोई लड़की समझ में ही नहीं आती. मैं तो सोच रहा हूँ कि आपको ही अपनी गर्लफ्रेंड बना लूं.
इस बात पर पहले तो आंटी हंस दीं, फिर बोलीं- मुझे गर्लफ्रेंड बना कर तुझे क्या मिलेगा?
मैंने कहा- आंटी, जो बात आप में है, वो आजकल की लड़कियों में कहां मिलता है.
वो हंस कर बोलीं- मेरे अन्दर ऐसा क्या है?
मैंने भी खुल कर बोल दिया कि मुझे आपका फिगर बहुत अच्छा लगता है.
वो मुझे देख कर हंसने लगीं और बोलीं- तुम ये बात बस ऐसे ही बोल रहे हो.
मैंने कहा- नहीं आंटी मैं सच कह रहा हूँ. आप मुझे बेहद हॉट लगती हैं.
इस पर आंटी संजीदा हो गईं और बोलीं- तुम मजाक कर रहे हो.
तब तक उनका घर आ गया था.
मैंने उन्हें उतारा और वो मुझे बाय करके चली गईं.
दूसरे दिन मैंने उन्हें उनके घर छोड़ा तो उन्होंने चाय के लिए बुला लिया.
मैं अन्दर चला गया.
इस बार वो मुझे अपने कमरे में ही ले गईं और बैठा दिया.
उस समय शाम हो रही थी और वो रूम के बाथरूम में कपड़े चेंज करने लगीं.
वे बाहर आईं तो एक मस्त नाइटी पहने हुई थीं.
मैं उन्हें इस मादक रूप में देख कर उत्तेजित हो गया.
आंटी इठलाती हुई चाय बनाने किचन में चली गईं और कुछ देर में चाय बना कर ले आईं.
वो मेरे पास ही बैठ गईं और हम दोनों चाय पीने लगे.
मैंने पूछा- आपको कभी हस्बैंड की कमी महसूस नहीं होती?
वो बोलीं- कमी लगती तो है, पर क्या कर सकती हूँ.
उनके हस्बैंड बाहर जॉब करते थे और साल में एक आध बार ही घर आते थे.
आंटी इमोशनल हो गई थीं. उन्होंने मेरे कंधे पर सर रख लिया.
उस दिन उनके घर में कोई भी नहीं था.
वो अपना दुखड़ा रोने लगीं- मेरी किसी को कोई फ़िक्र ही नहीं है.
मैंने कहा- अरे … आप ऐसा क्यों कहती हैं. मैं हूँ ना आपका सब ख्याल रखने के लिए.
ये कह कर मैंने भी उनके गले में हाथ डाल दिया और अपनी तरफ खींच कर उन्हें गले लगाने के बहाने कसके दबा लिया.
वो भी बेहिचक मेरे गले से लग गईं.
मैं उनके मादक जिस्म का अहसास करने लगा.
उस समय वो जो नाइटी पहने थीं, उससे उनकी ब्रा की स्ट्रिप मुझे महसूस हो रही थी.
फिर आंटी एकदम से उठीं और बोलीं- छोड़ो राहुल, इन बातों का क्या फायदा.
मैंने मौक़े का फायदा उठाया और फिर से उन्हें अपनी बांहों में खींच लिया.
इस बार कुछ समझ पातीं कि मैं उनके होंठों पर लिपलॉक करने लगा.
वो थोड़ा हिचकिचा कर अलग होने की कोशिश करने लगीं.
मैंने उन्हें नहीं छोड़ा, किस करता रहा.
आंटी 5 मिनट बाद अलग हुईं तो मैंने कहा- मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ. आप मुझे बड़ी अच्छी लगती हैं.
वो हल्के से मुस्कुरा दीं और बोलीं- क्या पसंद है मेरे अन्दर?
मैंने कहा- मुझे आपका सब कुछ पसंद है.
ये कह कर मैंने खड़े होकर आंटी को फिर से पकड़ लिया और बांहों में कस लिया.
मैं उनको बांहों में लेकर उनके चूतड़ों को दबाने लगा.
मुझे आंटी के चूतड़ों पर चड्डी महसूस हो रही थी.
उनके चूतड़ों को दबाते हुए बड़ा मजा आ रहा था.
कुछ ही देर में उन्होंने समर्पण कर दिया और वो बोलीं- ओके ठीक है, पर अभी ये सब नहीं. आज तुम यहीं रुक जाओ, शाम को आराम से करेंगे.
मैंने भी सोचा कि ठीक है.
ये तो सब अपने आप हो गया.
वो घर का कुछ काम करने लगीं और मैं टीवी देखने लगा.
उस समय बारिश का मौसम था, उमस भरी गर्मी हो रही थी.
अपना काम निपटा कर आंटी बोलीं- मैं नहाकर आती हूँ.
मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ.
पहले तो आंटी ने मना किया, फिर बोलीं- अच्छा ठीक है, आ जाओ.
हम लोग बाथरूम में आ गए.
मैंने पीछे से आंटी को कसके पकड़ लिया.
वो हंस कर बोलीं- नहाने भी नहीं दोगे क्या?
मैंने कहा- साथ में नहाते हैं न.
मैंने शॉवर चला दिया.
हम दोनों पानी से गीले होने लगे.
उस वजह से हम दोनों के बदन पर कपड़े चिपक गए थे.
आंटी के शरीर से उनके मम्मे मस्त दिखने लगे थे.
मैंने उनकी सामने से खुलने वाली नाइटी की डोरी को खोल दिया और ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को देखने लगा.
क्या मस्त चूचियां लग रही थीं. सच में यार आंटी एक गदर माल थीं. उनके चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे.
फिर मैंने आंटी की नाइटी पूरी खोल दी और बैठ कर आंटी की जांघों को चूमना शुरू कर दिया.
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आंटी की जांघें बहुत चिकनी थीं. कुछ देर जांघों को चूमने के बाद मैं उनकी चूत को चड्डी के ऊपर से ही किस करने लगा और चूत सूँघने लगा.
आह क्या महक थी उनकी चूत की … सच में नशा सा छा गया था.
फिर आंटी को घुमा कर मैं उनके चूतड़ों को चूमने लगा और अपनी उंगलियों की मदद से आंटी की चड्डी नीचे खींच कर निकाल दी.
उनके बदन से चड्डी निकलते ही मानो मुझे सब कुछ मिल गया था. उनकी झांट रहित फूली हुई चूत गजब की लग रही थी.
मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और चूत को जीभ से चाटने लगा. वो भी बहुत उत्तेजित हो गई थीं. उनको भी ये सुख शायद पहली बार मिल रहा था.
कुछ ही देर में आंटी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया और चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने सी लगीं.
उनकी उत्तेजना अपने चरम पर आ गई थी और वो आह आह करती हुई झड़ने लगीं.
मैं आंटी की चूत का सारा खट्टा पानी पी गया और पानी चाट लेने के बाद भी मैं चूत चाटता रहा.
आंटी की चूत का आकार बहुत गजब का था. आज वो भी सड़क छाप चुदक्कड़ सी हो गई थीं.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे उठाया और खुद बैठ गईं, फिर मेरा लंड पकड़ लिया और तेज तेज हिलाने लगीं.
मेरा लंड काफ़ी टाइट हो गया था.
काफ़ी दिन से चूत न मिलने के कारण लंड में चूत के लिए शोले से भड़क रहे थे.
मैं सीधा खड़ा हो गया और उनके सर पर हाथ रख कर अपने लौड़े पर दबाने लगा.
उन्होंने भी लपक कर मेरा मोटा लंड मुँह में भर लिया और टोपे पर जीभ चलाने लगीं.
आंटी शायद काफ़ी तजुर्बेकर औरत थीं, लंड के टोपे को वो ऐसे चूस रही थीं मानो लंड को निचोड़ कर उसके अन्दर का सारा रस निकाल लेंगी.
उनका मुँह मेरे लंड पर जिस तरह से चल रहा था, उससे मेरे अन्दर गजब का नशा हो था.
वो मेरा लंड हाथ से ऊपर उठा कर गोलियां भी चूस रही थीं.
कुछ देर के बाद मेरा लंड एकदम से चूत चूत करने लगा था.
मूसल सा तना हुआ लंड देख कर आंटी ने झटपट से अपने बचे खुचे कपड़े भी निकाल दिए.
अब उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं बचा था और न मेरे शरीर पर. हम दोनों मादरजात नंगे थे.
मैं आंटी को पूरी नंगी देख कर हवस में आ गया था और मेरी आंखों में वहशीपन भर गया था.
मैं उस पल को शायद कभी नहीं भूल पाऊंगा.
अब मैं आंटी को कभी कहीं चूमता, कभी कहीं.
मैं खड़े होकर उनके दूध पीने लगा.
वो भी मेरे चूतड़ों को दबाने लगीं और फैलाने लगी थीं.
मुझे बेहद सनसनी हो रही थी और मजा आ रहा था.
मैं आंटी के निप्पल चूसते हुए उनके चूतड़ों की दरार में उंगली डालने लगा.
वो इतनी ज्यादा गर्म हो गईं थीं कि बोलने लगीं- प्लीज … पहले एक बार जल्दी से लंड अन्दर घुसा दो.
मैंने भी बिना देर किए उनको कुतिया बनाते हुए झुकाया और उनकी गांड की तरफ से चूत में लंड घुसा दिया.
मेरा पूरा लंड उनकी रस टपकाती चूत में एक बार में ही घुस गया था. इससे आंटी की दर्द भरी चीख निकल गई.
वो कराहती हुई बोलीं- उई मम्मी रे … आह मुझे दर्द हो रहा है … आराम से करो यार … बहुत दिन से अन्दर नहीं लिया है.
मैं अब आराम आराम से चुदाई करने लगा.
फिर आंटी को मजा आना शुरू हुआ तो उन्होंने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी.
मैंने समझ लिया कि अब खेल में मजा आने लगा है तो मैं उनको स्पीड में चोदने लगा.
वो भी चुदाई की लय में ताल मिलाने लगीं. मैं उनके कंधे पकड़ कर धकापेल चोद रहा था.
कुछ देर तक यूं ही चोदने के बाद हम दोनों चरम पर आगे और दोनों का पानी एक साथ आ गया.
चुदाई के बाद आंटी मुझसे चिपक गईं और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगीं.
फिर हम दोनों आराम से नहाये और बाहर आ गए.
वो रोटी बनाने लगीं और मैं उनसे बातचीत करने लगा.
मैंने कहा- मजा आया?
वो बोलीं- हां, आज मुझे बहुत ज्यादा मजा आया.
मैंने कहा- आपने भी चुदने का पूरा मूड पहले से बनाया हुआ था, इसी लिए चाय के लिए बुलाया था.
वो हंस कर बोलीं- हां मेरा बहुत पहले से प्लान था. मैं भी तुम्हें पसंद करती थी.
मैंने कहा- तभी चूत के बाल बना रखे थे.
इस बार आंटी जोर से हंस कर बोलीं- हां यार, आज मॉर्निंग में ही बना लिए थे. आज पहले से ही चुदवाने का मन बना लिया था.
अब आंटी मुझसे बिल्कुल खुल कर बात कर रही थीं.
उसके बाद हमारा खाना हुआ और हम दोनों फिर से आंटी के बेडरूम में आ गए.
वो सोने से पहले कपड़े चेंज करने गईं और जब बेडरूम में आईं तो मेरी आंखें फट गई थीं.
वो एक ब्लैक कलर की फ्रॉक जैसी नाईटी में आई थीं; इसमें आंटी का गोरा शरीर क़यामत लग रहा था.
आंटी नाईटबल्ब जला कर बिस्तर पर लेट गईं.
मैंने भी बिना देर किए उन्हें पकड़ लिया और किस करने लगा.
वो भी मुझसे चिपक कर चूमाचाटी करने लगीं.
आंटी की जीभ मेरे मुँह में खेल रही थी.
अब तो ऐसा लगा रहा था मानो मैं उन्हें नहीं, बल्कि वो मुझे चोदने के मूड में हों.
आंटी मेरे मुँह में अपनी जीभ को अन्दर तक डाल कर किस करती जा रही थीं.
मैं भी उनके मुँह का पूरा स्वाद ले रहा था.
मैंने भी आंटी के मुँह में जीभ घुसा दी और लिपलॉक किए जा रहा था.
साथ ही मैं आंटी की नाईटी ऊपर करके उके नंगे जिस्म को टटोलने लगा.
उनकी चड्डी में पीछे से हाथ डालकर उनके चूतड़ों की दरार में हाथ घुसा दिया और चूतड़ दबाने लगा.
इतने में आंटी ने मुझे सीधा लेटा दिया.
मैं सिर्फ अंडरवियर में था.
आंटी ने मेरे होंठों से चूमना शुरू कर दिया.
वो मेरी गर्दन सीना चूमने लगीं, उसके बाद मेरे निप्पल चूसने लगीं.
मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
धीरे धीरे करके आंटी मेरे लौड़े पर आ गईं और हल्के से लंड पर किस कर दिया.
मैं आह कर उठा.
उसी समय आंटी ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगीं.
मैंने कहा- रुको अभी!
वो रुक गईं.
फिर मैंने उनके कपड़े निकाल दिए. और उन्हें 69 की पोजीशन में ले लिया.
वो मेरे ऊपर थीं. उनकी चूत ठीक मेरे मुँह पर लगी थी. आंटी के मुँह में मेरा लंड था.
मैंने आंटी की चूत को फैलाया और जीभ फेरी तो उनकी पूरी चूत गीली हो चुकी थी.
जीभ अन्दर डालकर मैंने चूत चाटना शुरू कर दिया.
मैं चूत का रस चूसने लगा; साथ ही मैं आंटी की चूत को अन्दर तक चाट रहा था.
मेरे चूत चाटने से उत्तेजित होकर Xxx आंटी मेरे लंड को और तेजी से चूसने लगीं.
उन्होंने दोनों हाथों से मेरी टांगें फैलाईं और लंड के नीचे जीभ ले जाकर मेरी एक गोली को मुँह में भर लिया.
मेरी मीठी सी आह निकल गई और आंटी ने मेरे आंड चूसना शुरू कर दिए.
अब माहौल बहुत गर्म हो चुका था. मेरे चाटने से ही एक बार वो मेरे मुँह में ही झड़ गई थीं.
उसके बाद मैंने उन्हें नीचे लेटाया और मैं बेड से नीचे खड़ा हो गया.
मैंने अपने हाथों से उनकी चूत को फैला दिया.
आंटी ने बड़े अदब से मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख दिया.
मैंने भी एक ही झटके में पूरा लौड़ा घुसा दिया.
इससे वो एकदम से सिहर गईं. आंटी ने मेरा हाथ कसके पकड़ लिया लेकिन उसने कुछ कहा नहीं.
मैं उनको चोदने लगा.
उनके पैर मेरे कंधों पर थे और मेरे दोनों हाथ उनके मम्मों पर जमे थे.
मैं आंटी के दूध दबा दबा कर उन्हें स्पीड में धकापेल चोद रहा था.
दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने लंड निकाला और उनकी चूत को तुरंत चाटने लगा क्योंकि चूत से बहुत पानी बह रहा था.
आंटी की चूत का पानी बड़ा स्वादिष्ट लग रहा था.
उसके बाद मैं नीचे लेट गया और वो बैठ कर मेरे लंड पर लगे हुए पानी को चाटने लगीं.
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद टांगें फैला कर मेरे लंड पर बैठ गईं.
एक ही बार में पूरा हथियार अपनी भोसड़ी में डाल लिया. आंटी की चूत अभी भी बहुत चिकनी थी, पानी के कारण लंड एकदम से घुसता चला गया.
आंटी थोड़ी देर यूं ही लंड पर चूत टिकाए बैठी रहीं, फिर बोलीं- कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- ऐसा लग रहा है जैसे सबकुछ मिल गया हो.
फिर आंटी ने झटके देने शुरू किए.
मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
अब उन्होंने मेरे दोनों हाथ अपने मम्मों पर रखवा दिए और मैं दबाने लगा.
आंटी के दूध काफ़ी बड़े और टाइट थे, मुझे मजा आ रहा था
मैं एक निप्पल को चिकोटी काट रहा था.
आंटी धक्के मार रही थीं.
मैंने उनके निप्पल तेजी से दबा कर खींच दिया, तो उन्होंने कहा- आंह … आराम से दबाओ न!
मैं दोनों हाथों से उनके मम्मों की मसाज करने लगा.
वो भी धक्के देती हुई मुझे किस करने लगीं.
मैंने पीछे से उनके दोनों चूतड़ पकड़ लिए और पूरी ताकत से मसलने लगा.
इसी तरह से कुछ देर तक हम दोनों के बीच चुदाई चली और आंटी फिर से झड़ गईं.
वो झड़ कर निढाल हो गईं और मेरे सीने पर लेट गई.
आंटी आह भरती हुई बोलीं- जिंदगी मैं आज पहली बार इतना सुकून मिला.
लेकिन मेरा अभी पानी नहीं निकला था.
मैंने कहा- आंटी यार, मेरा तो हुआ नहीं है.
वो बोलीं- तुम तो बहुत टाइम लेते हो.
मैंने कहा- हां मेरा जल्दी नहीं होता है.
वो बोलीं- चलो अब कैसे लोगे?
मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और उनकी बड़ी सी चौड़ी गांड मेरे सामने आ गई थी.
आंटी के पीछे का क्या मस्त नजारा था.
पहले तो मैंने पीछे से उनके चूतड़ों में मुँह घुसाया और चूत को एक बार किस किया.
फिर लंड को चूत मैं घुसा कर चोदने लगा.
इस बार वो आवाज ज्यादा निकाल रही थीं, शायद उन्हें दर्द हो रहा था.
मैंने उनकी चड्डी उनके मुँह में घुसा दी और कहा- आवाज मत निकालो यार … कोई सुन लेगा.
वो चुप हो गईं और मैं ताबड़तोड़ चोदने लगा.
मैं पीछे से उनकी गांड पकड़ कर तेज तेज चोद रहा था.
तभी मुझे एक शरारत सूझी.
मैंने आंटी की चूत चोदते हुए अपना अंगूठा उनकी गांड में घुसा दिया.
वो एकदम से चिहुंक कर अलग हो गईं और बोलीं- गांड में हरकत नहीं.
मैंने कहा- सिर्फ अंगूठा डालूंगा.
वो बोलीं- मेरी गांड में दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- ज्यादा नहीं होगा, बस थोड़ा सा होगा … लेकिन आपको मजा आएगा.
Xxx आंटी मान गईं.
मैंने उनको फिर से घोड़ी बनाया और लंड घुसा दिया.
इस बार मैं आंटी की गांड को भी अंगूठे से चोदने लगा.
मैं बहुत स्पीड में चोद रहा था और आंटी को गांड में लज्जत मिलने लगी थी.
कुछ देर बाद मैं झड़ गया और उनके ऊपर ही गिर गया.
मैं काफ़ी देर तक आंटी के ऊपर लेटा रहा, फिर अलग हो गया.
उस रात हम दोनों ने तीन बार चुदाई की और सो गए.
फिर सुबह हो गई, तो वो बहुत ख़ुश थीं.
मैं भी आंटी की लेकर खुश था.
दोस्तो, मेरी Xxx आंटी सेक्स कहानी कैसी लगी.