मेरा नाम हिमानी है, मैं २२ साल की लड़की हूँ और अभी अभी ही दो महीने पहले मेरी शादी हुई है. दो महीनो के बाद मैं अपने गाँव अपने पापा से मिलने आई थी. दीक्षा मेरे घर में काम करने वाली 19 साल की लड़की थी, दिखने में ठीक थी. मेरे पापा घर में अकेले रहते है. मेरी मम्मी का स्वर्गवास 4 साल पहले हो चूका था. मेरा छोटा भाई है पर वो पढने के लिए दिल्ली गया है.
मेरे पापा अपने गाँव में सब से अमीर है और उनकी बात कोई टालता नहीं है. उनका नाम कमलेश सिंह है, और वो सच में अपने गाँव के चौधरी ही है. मैंने बचपन से ही पापा को कड़क और मजबूत शख्स की तरह देखा है. उनकी चाल, बोलने का तरीका सब मर्दाना लगता है. हां तो कहानी पर वापस आते है. दीक्षा को लेकर मैंने पापा को बुलेट पर जाते हुए देखा.
मुझे कुछ गलत लगा, वैसे मैंने कभी अपने पापा के बारे में गलत नहीं सोचा की वो गलत काम कर सकते है, हाँ मैं जैसे जैसे जवान होती गयी वैसे वैसे मुझे अपने पापा के कडकपन, उनके गुस्से, उनकी मर्दाना बातो पर और मर्दाना ताकत की ओर खिंचाव होने लगा. पर कभी जिक्र नहीं किया, पापा से नजदीक होने की हिम्मत भी नहीं हुई.
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पापा जैसा ही मैं अपना पति चाहती थी, पर वो मिला तो भी सॉफ्टवेर इंजिनियर, काफी मासूम और सीधासाधा. मेरा पति भी अच्छा है पर सख्त नहीं है. हाँ तो पापा ने दीक्षा को बुलेट के पीछे बिठाया और जंगल के रस्ते की ओर चले गए, मैं भी उनके पीछे पीछे चल पडी. वो बुलेट पर थे तो आसानी से पहुँच गए पर मैं चलते जा रही थी, मैं पीछा तो नहीं कर सकती थी पर मुझे रास्ता पता था.
करीब आधे घंटे बाद मैं वहां पर पहुँची, मैंने उन्हें ढूंढना शुरू किया, पर वो मिले नहीं. फिर थोड़ी देर बाद मुझे पहाड़ी से अजीब आवाज़ सुनाई दी, मैं जंगल के रास्ते से ऊपर की ओर चढ़ने लगी वैसे वैसे आवाज़ तेज़ होती गयी. मुझे आसानी से पता चल गया की ये आवाज़ चुदवाने की है और धीरे धीरे मैंने दीक्षा की आवाज़ को पहचान लिया.
एक मिनट के लिए मैं रूक गयी, की कहीं मैं गलत तो नहीं कर रही. अगर पापा को पता चल गया तो क्या होगा. पर फिर सोचा की शायद रजत अंकल दीक्षा को चोद रहे हो और पापा सिर्फ उसे छोड़ने आये हो तो..ये सोचकर मैं फिर से आगे चली. आगे चलते ही मैंने पापा की बुलेट को देखा, और पीछे हट गयी फिर मैंने इधर उधर देखा कि कैसे देखूं कि पापा को पता ना चले.
फिर मैंने एक पत्थर देखा और पत्थर के ऊपर चढ़ कर देखने लगी, अब मैं उनसे थोडा सा ऊपर थी, तो उन्हें पता चलने की गुंजाइश कम थी. फिर मैंने ऊपर हो कर देखा तो दीक्षा कुत्ते की स्टाइल में थी और पापा दीक्षा को जमकर चोद रहे थे..पापा और दीक्षा पूरे नंगे थे. मैंने कभी पापा को ऐसे नहीं देखा था.
पापा को और पापा के लंड को देखकर मैं हैरान हो गयी..पापा जबरदस्त दम लगाकर दीक्षा को चोद रहे थे, दीक्षा की जांघे लाल लाल हो गयी थी मतलब पापा उसे आधे घंटे से चोद रहे थे. पापा ने उसके बालों को पकड़ के रक्खा था उसका सर भी पीछे खींचकर रक्खा था और वो कुतिया की तरह चुदवा रही थी. मैं एक दम सुन्न हो गयी थी.
‘रजत.. तुम भाई अगली बार से मत आना, तुम कुछ करते नहीं हो और बस बैठ के देखते रहते हो.. क्यूँ दीक्षा.’ पापा ने दीक्षा को धक्के मारते हुए कहा.
‘ह ह…ह ह्ह्ह्ह…हां बापजी.’ मेरे पापा को गाँव में सब बापजी कह कर बुलाते थे.दीक्षा की जबान लडखडा रही थी, वो काफी थक गयी थी. पापा रूकने का नाम नहीं ले रहे थे. पापा के पाँव के थपेड़ो की आवाज़, ऊपर से दीक्षा की जबरदस्त चुदाई की आवाज़ सुनकर मेरी चूत भी गीली हो गयी. पता ही नहीं चला कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया.
मैं उन दोनों को देखकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगी. दीक्षा कुतिया की तरह झुकी हुई थी और उसने अपने दोनों हाथ बुलेट पर लगा कर रक्खे थे. पापा के लंड के धक्के इतने जोरदार थे कि उसकी छाती बुलेट की सीट से टकरा रही थी. मैंने देखा की दीक्षा बुलेट की सीट को मुट्ठी में लेने की कोशिश कर रही थी, मेरा अंदाज़ा सही था वो अब झाड़ने वाली थी.
और मेरे मन में आया ही था की एकदम से वो ढीली हो गयी और उसकी चूत का पानी निकल गया और वो नीचे गिर गयी. पापा का लंड बहार आ गया. मैंने देखा सच में पापा का लंड किसी जानवर से कम नहीं था. मैं तो उसे देखते ही पागल हो गयी. और उसे ही देखती रही. फिर पापा ने दीक्षा को उठाया और आराम से बिठाया.
दीक्षा भी समझ गयी और अपने घुटनों पर बैठ कर पापा के लंड को हिलाने लगी. पापा ने झट से लंड उसके मूंह में डाल दिया और उसके मूंह को चोदने लगे..बेचारी दीक्षा.. मैं उसकी हालत समझ रही थी वो काफी थक गयी थी. उधर रजत अंकल बस देखे जा रहे थे. फिर पापा ने अपने लंड को बहार निकला और अपने हाथो से लंड को हिलाने लगे और हट गए..अब मैं उनके लंड को देख नहीं पा रही थी.
‘ओह्ह्ह.. आआअह्ह्ह….बस इतनी सी आवाज़ निकली और पापा के लंड से वीर्य छुट गया..’ मैं पापा के लंड को देखने के चक्कर में भूल गयी की मैं पत्थर पर खडी थी और मेरे हिलते ही पत्थर हिल गया और मैं नीचे गिर गयी. मैं सीधा उन तीनो के सामने आ गयी.
तीनो मुझे देखकर चौंक गए और पापा ने एकदम से अपनी धोती उठा ली. मैं भी शरमा गयी, मुझे और कुछ नहीं सुझा तो मैं वहां से चल दी. अब मैं पापा का सामना नहीं कर सकती थी. पापा क्या कहेंगे..एक टाइम पर तो मुझे अपने पति के घर चले जाने का भी ख्याल आया.
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मैं पापा के डर से जल्दी से चले जा रही थी और इतने में मैंने बुलेट के आने की आवाज़ सूनी और मुड़कर देखा. पापा ही आ रहे थे, उन्होंने मेरी ओर देखा और मैंने शर्म से आँखे नीचे कर ली, मुझे शर्म और डर दोनों लग रहा था. मैं डर के मारे अपनी साड़ी के पल्लू को उंगलियों से खेलने लगी.
‘बैठो..घर अभी दूर है..’ पापा मेरे पास आकर रुके और कहा. मैं तो एक ही सेकंड में बैठ गयी. पापा चलने लगे. रस्ते में मुझे समझ आया कि मैंने कौनसा गुनाह किया है तो मैं डर रही हूँ, पापा को देखो गलत काम उन्होंने किया फिर भी बिना किसी शर्म और डर के कैसे चौधरी की तरह कहा कि बैठो… मैं फिर से पापा के मर्दाना होने पर फ़िदा हो गयी.
अब मैं डर नहीं रही थी, मुझे पता नहीं पापा पर प्यार आ रहा था, उन्होंने जो किया वो गलत था, हमारी इज्जत के लिए गाँव की इज्जत के लिए. पर पता नहीं मैं पापा की ओर खिंच रही थी. मैंने बिना डर के पापा के कंधे पर अपना हाथ रख दिया. जैसे बीवी अपने पति के कंधे पर हाथ रखती है ऐसे.
बस अब मेरे मन में चल रहा था कि किसी तरह पापा के लंड को छूना है. क्या जालीम लंड है पापा का. मैं सोच ही सोच में घर भी पहुँच गयी, हम घर पहुंचे तो वहां पर कुछ लोग पापा से मिलने आये थे. वो लोग कुछ नेता जैसे भी मालूम पड़ रहे थे. मैं पापा के सामने नहीं आना चाहती थी तो मैं बाइक से उतर कर सीधी घर में चली गयी और पापा सब से गाँव के बारे में बात करने लगे.
उनको बातों में शाम हो गयी और मैंने खाना फटाफट बना दिया और पापा को कैसे पटाऊ वो सोचने लगी. मेहमान शायद कुछ ख़ास थे तो वो सब भी पापा के साथ खाना खा कर ही गए और अब रात भी हो गयी थी. सब चले गए और मैं खाना खा रही थी की इतने में लाइट चली गयी. मैं एकदम से डर गयी और मैंने पापा को आवाज़ दी.
‘पापा..’
‘हाँ..क्या हुआ, लाइट ही गयी है. कुछ नहीं हुआ. अभी लालटेन लेकर आता हूँ.’ और पापा मेरे पास लालटेन लेकर आये और मेरे पास रखकर चले गए. मैंने खाना निपटाकर और बरतन धोकर वापस आई तो पापा अपने रूम में बिछाना बिछा रहे थे. मैं समझ गयी की पापा जल्दी सो कर मुझसे दूर रहना चाहते हे. पर अब मैंने शर्म तोड़कर कहा
‘पापा..इतनी जल्दी सो ना है..’
‘हाँ..बेटा, लाइट है नहीं तो क्या करेंगे..तू भी सो जा.’ और वो अपना कुर्ता उतारने लगे, मैं पापा की चौड़ी छाती को देख रही थी. पापा ने अन्दर बनियान नहीं पहनी थी. मुझे ऐसे उनके बदन को देखते हुए पापा ने देख लिया.
‘क्या देख रही है हिमानी..जा सो जा’ पापा ने मुझे होश में लाने के लिए कहा.
‘पापा..वो क्या है कि लाइट के बगैर डर सा लगता है..’
‘इसमें कैसा डर, तू बचपन से इसी गाँव में बड़ी हुई है, यहाँ अक्सर लाइट जाती है..’ पापा ने मुझे समझाते हुए कहा और जमीन पर अपने बिछाने पर बैठ गए. मैं भी पापा के जवाब के लिए तैयार थी.
‘हाँ पापा पर आज डर लग रहा है..’ और इससे पहले कि पापा मुझे मना करे मैं पापा के पास उनके बिछाने पर जा कर बैठ गयी और बड़े सेक्सी आवाज़ में कहा.
‘पापा प्लीज..जब तक लाइट आ ना जाये तब तक सोने दो, फिर मैं चली जाउंगी.’
पापा ने एक नजर मेरी ओर देखा, अब उनके पास कोई चारा नहीं था. कितना भी कठोर बाप हो पर बेटी ऐसे कहे तो मान ही जाता है. और पापा भी मान गए. उन्होंने कहा ठीक है सो जाओ. और वो भी लेट गए. उन्होंने एक हाथ अपने सर के नीचे रक्खा और दूसरा अपनी छाती पर और आँखे बंद कर के लेट गए. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने भी फिर हिम्मत करते हुए पापा के छाती पर रक्खे हुए हाथ को पकड़ा और उसे साइड में रख कर उस पर अपना सर रख कर लेट गयी, मतलब मैं पापा के हाथ को तकिया बना कर सो गयी. पापा ने एकदम से फिर से मेरी ओर देखा और इस बार मैंने उन्हें एक कातिल मुस्कराहट दी. और पापा से चिपक कर सो गयी. मैंने अपना हाथ पापा की छाती पर रख दिया और पापा की छाती को सहलाने लगी. पापा सिर्फ धोती में थे और अब पता नहीं उनके मन में क्या चल रहा था. मैंने तभी आईडिया निकाला.
‘पापा.. आपकी छाती पर कितने सारे बाल है..’
‘क्यूँ तुम्हे कोई तकलीफ है..’
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‘नहीं पापा.. मुझे क्यों तकलीफ होगी.. आप भी ना. हमेशा गुस्से से बात करते हो, मैं तो ये कह रही थी कि कितने अच्छे लगते है आपके सीने पर ये बाल. इन्हें सहलाने में भी मजा आता है.’ और मैंने पापा से भोले अंदाज़ में कहा और उनहे हाथ से हटकर मैं पापा के सीने पर आ गयी.
अब मैं पापा से एकदम चिपक गयी थी. मैंने हिम्मत कर के अपने पाँव भी पापा के पाँव पर रख दिए थे और धीरे धीरे उनके पाँव को भी सहला रही थी. बेचारे पापा मेरे मासूम डायलाग से चुप हो गए और कुछ नहीं बोल पाए. मैंने अब उनके बालों को चूमना शुरू कर दिया..
बाल तो बहाना थे मैं तो अपने पापा को चूम रही थी. पर अब तक पापा की ओर से कोई हरकत नहीं हो रही थी. मैं चूमते चूमते पापा की छाती पर निप्पल को पकड़ लिया और अपने होठो में दबा लिया..और उसे चूसने लगी..जैसे मैंने ऐसा किया पापा के बदन में एक अंगड़ाई सी आ गयी और छटपटा उठे.
‘हिमानी ये तुम क्या कर रही हो..’ पापा ने अब बिलकुल नोर्मल तरीके से बात की, अब उनकी आवाज़ में कठोरता नहीं थी. अब वो पिघल रहे थे.
‘कुछ नहीं पापा..मुझे आपके बाल पसंद आ गए है..कितने घने है..और मुलायम भी. आप सो जाइये.’ और इतना कहकर मैंने उनके होठो पर अपनी ऊंगली रख दी उन्हें चुप करने के लिए.
फिर मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी गरदन चूमने लगी..पर अब पापा की हिम्मत नहीं हो रही थी मुझे डांटने की. पर वो समझ रहे थे कि मैं उन्हें किस करने का सोच रही हूँ तो वो अपने गरदन मैं जिस और चूमती उस और से दूसरी और हटा रहे थे.
‘पापा..आपकी मूछ को एक बार चूम लू.’ मैं पापा के होठो के ठीक ऊपर थी.
‘नहीं बेटा…उधर नहीं.’ पापा के मूंह से अब बेटा भी निकलने लगा था.
‘पापा प्लीज..मुझे आपकी मूछे पसंद है..’ और मैंने इतना कहते ही पापा के होठो पर अपने होठ रख दिया और उन्हें चूमने लगी. जाहिर सी बात है पापा अब भी कोई हरकत नहीं कर रहे थे. पर मैं फिर अब ठीक उनके ऊपर ही आ कर लेट गयी और पापा को बेशर्मी से चूम रही थी.
फिर मैंने अपने हाथ को पापा के हाथ पर रक्खा और जोर से पापा की उँगलियों में अपनी उंगलिया मिला ली. जिससे उन्हें सिग्नल मिले और वो भी कुछ करे. और वो भी अब कमजोर पड़ने लगे और उन्होंने भी मेरे होठो को चूमना शुरू किया. मैं अपनी प्लानिंग में कामयाब होती दिख रही थी मैं और भी जोश में आ गयी और पापा को जंगली की तरह से चूमने लगी.
अब पापा भी सबर खो रहे थे वो भी मुझे किस कर रहे थे और अब उनके हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे. मैंने फिर पापा के मूंह में अपनी जीभ दे दी और पापा ने मेरी और देखा और बिना कुछ बोले फिर से मेरी जीभ को चूसने लगे. अब सही मौका था मैं पापा के लंड के ठीक ऊपर आ गयी और अपनी गांड को पापा के लंड पर घिसने लगी.
पापा के लंड को छूते ही मुझे एहसास हो गया था कि वो कड़क हो चूका है..अब मैंने अपने हाथ को नीचे किया और पापा की धोती में उसे डाल ही रही थी कि पापा ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और अपने मूंह से मेरी जीभ को भी निकाल दिया और बोले.
‘हे भगवान.. हिमानी तुम ये क्या कर रही हो..मैंने भी ये क्या कर दिया..’ पापा ने अपने मूंह पर हाथ रखते हुए कहा. पापा अब उठकर बैठ गए थे और मेरी ओर देख रहे थे. मैं भी पापा के साथ ही बैठ गयी और पापा के सामने सर झुका कर बैठी रही और सर नीचे करके ही मैंने हलकी सी आवाज़ में कहा.
‘पापा आई एम् सॉरी.. पर आपको शाम को देखने के बाद मुझे दीक्षा से जलन होने लगी है. उपेन (मेरे पति) से तो 5 मिनट भी कर पाना मुश्किल है और आप को देखकर मुझे पता नहीं क्या हो रहा है.’ मैं इतना कहकर पापा बैठ गए थे तो उनकी गोद में सर रख दिया और बेटी की तरह लेट गयी. पापा ने अपनी गोद में सोने से मना नहीं किया.
‘नहीं बेटा.. तुम्हारी मुश्किल ठीक है, पर तुम जो कर रही हो वो गलत है.’ पहली बार मेरे पापा ने मेरे सर पर प्यार से हाथ घुमाकर बात की थी. मैं पापा की बात सुन रही थी पर मुझे तो सेक्स का भूत सवार था. पापा बात कर रहे थे तभी मैंने पापा की धोती पर से ही पापा के लंड को पकड़ लिया..और उसे अपनी मुट्ठी में मसलने लगी.
‘नहीं हिमानी ऐसा मत करो..तुम समझदार लड़की हो.’ पापा अभी भी मना कर रहे थे. पर मैं रूक नहीं रही थी. मैंने पापा की धोती की गाँठ खोल दी और पापा के लंड को हाथ में पकड़ लिया. पापा भी मेरा हाथ छूते ही जैसे करंट लगा हो ऐसे हिल गए.
‘देखो हिमानी, मुझे गुस्सा मत दिलाओ. मुझे मजबूर मत करो..’ पापा अब मुझे डराना चाहते थे. मैंने अब तक पापा के लंड को आज़ाद कर दिया था और वो बाहर आ गया था. मैंने पहलीबार इतना बड़ा लंड देखा था. पापा के लंड को देखते ही मैं गॉद में से उठकर बैठ गयी और पापा के लंड को देखने लगी. पापा ने पास में पड़ी चादर से उसे ढक लिया.
तो मैंने पापा की ओर देखा और पापा को झट से धक्का दे कर लिटा दिया, इससे पहले की पापा कुछ समझे मैं पापा पर चढ़ गयी और 69 की पोजीशन में आ गयी और चादर हटाकर पापा के लंड को अपने मूंह में ले लिया. लंड इतना मोटा था की मेरे मूंह में भी नहीं समां रहा था.
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मेरी गांड पापा की ओर थी, पापा ने अपनी ताकत से मुझे एक ओर हटा दिया पर मैंने पापा के लंड को नहीं छोड़ा. मैं चुस्ती गयी अब पापा को पता नहीं गुस्सा आ गया और उन्होंने मुझे जोर से पकड़ कर धक्का दे दिया. पापा की ताकत इतनी थी कि मैं सामने की दीवार से टकरा गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं अब हार चुकी थी, मुझे लगा था कि जबतक मैं पापा के पास रहूंगी तब तक उन्हें मना सकती हूँ पर अब वो गुस्सा हो गए थे और उन्होंने मुझे अलग कर दिया था, अब वो नहीं मानेंगे. मैं उनकी और पीठ कर के दीवार से चिपक कर खडी थी, और दीवार को मारने लगी.
पर इतने में पता नहीं पापा को क्या हुआ कि वो मेरे पास आये और जोर से मुझसे टकरा गए, मुझे और भी दिवार से चिपका दिया. उन्होंने मुझे कस कर दीवार से सटा दिया था. फिर उन्होंने मेरे दोनों हाथो को पकड़ा और मेरे दोनों हाथो को अपने हाथो से दोनों और फैला दिए और मेरे कान में बोले..
‘किसी को पता तो नहीं चलेगा..’ मैं मन ही मन खुश हो गयी पर मैंने पापा की बात का जवाब नहीं दिया. उन्होंने मुझे पकड़ कर पलटा दिया और अपनी ओर घुमा लिया. मैं नीचे देख रही थी तो उन्होंने मेरे चेहरे को ऊपर किया..और मेरे होठ पर होठ रख कर मुझे किस करने लगे. मैंने उन्हें अपने से हटा दिया और कहा ‘ऐसे ही प्यार करना था तो वो तो उपेन भी करता है..मुझे दीक्षा की तरह जंगली प्यार चाहिए.’
मैंने बेशरम बनते हुए पापा से कहा. पापा भी मेरी बात सुनते ही मुझसे चिपके हुए थे तो थोड़े से दूर हुए और मेरी ओर देखा मैं भी बड़ी अदब से उनकी ओर देख रही थी की वो अब क्या करते हे. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती वो मेरे पास आये अपने दोनों हाथ मेरे ब्लाउज पर रक्खे और एक ही झटके में मेरे ब्लाउज को फाड़ दिया.
मैं तो पापा को देखती ही रह गयी, इससे पहले कि मैं और कुछ समझू उन्होंने मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथो में दबोच लिया, उनके हाथो में कितना जोर होगा आप समझ ही सकते हो, उनके हाथो ने जैसे मेरे बूब्स को दबाया कि मैं सहन नहीं कर सकी और 3 इंच ऊपर हो गयी. फिर पापा ने मुझे फिर से पकड़ा और बिछाने की ओर धक्का दिया.
मैं बिछाने पर गिरी और मैंने उनकी ओर देखा, अब उनमे चौधरी वाला मर्द जाग गया था, वो सच में मेरी ओर ऐसे बढ़ रहे थे की मानो मेरा रेप करनेवाले हो. मैं अब सच में खुश हो गयी और मैंने अपने आप ही अपनी साड़ी को जिस्म से निकाल दिया. अब मैं सिर्फ पेन्टी में थी.
मुझे ऐसे देखकर वो मेरे ऊपर झपटे और मुझे बालों से पकड़ा और मुझे घुटनों के बल पर बैठा दिया और अपना लंड मेरे मूंह में डाल दिया. उनका लंड मेरे मूंह में आधे से ज्यादा नहीं जा रहा था पर उन्होंने मेरे सर को पीछे से पकड़ा और मेरे सर को हिला हिला कर अपने लंड को मेरे मूंह में घुसाने लगे.
जब पूरा लंड मेरे मूंह में चला गया तो उन्होंने कुछ भी नहीं किया बस मेरे सर को पकड़ के रक्खा, अब मेरे से सांस भी नहीं ली जा रही थी, मैं अपने हाथ को उनके घुटनों पर मारने लगी. फिर भी उन्होंने नहीं छोड़ा, थोड़ी देर मुझे तड़पाया और फिर मुझे छोड़ा.
और अपने लंड को बाहर निकाला, और मैं अपनी छाती पर हाथ रख कर सांस ले रही थी, पर उन्होंने फिर से मेरे मूंह को पकड़ और लंड को अन्दर डाल दिया और इस बार लंड को अन्दर बाहर करने लगे. इतनी जोर से कर रहे थे कि फिर से मुझे सांस लेने नहीं दे रहे थे.
फिर उन्हें लगा कि अब मेरे से सहा नहीं जा रहा है तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया और नीचे गिरा दिया. अब मैं कुछ भी करने के हालत में नहीं थी, मैंने ही पापा के अन्दर शैतान को मजबूर किया था. मैं बस अपने दोनों हाथो को ऊपर कर के लेटी रही और पापा को देखने लगी.
वो अपने लंड को आगे पीछे कर रहे थे, फिर उन्होंने मेरे दोनों पाँव को पकड़ा और पाँव पकड़ कर मुझे अपनी ओर खिंचा, मैं ऊपर हो गयी और अब मैं सिर्फ सर के बल थी, मेरे दोनों पाव पापा के कंधे को छू रहे थे. उन्होंने फिर मेरी पेन्टी को पकड़ा और निकाल दिया.
फिर उन्होंने मेरी चूत को देखा, मेरी चूत पर हलके हलके से बाल थे, उन्होंने बाल को अलग किया और अपनी ऊंगली से मेरी चूत को मसलने लगे, मैं तो तड़प उठी. पापा के मसलने भी ताकत थी. उन्होंने मेरी चूत को दो उंगलियों से अलग किया और अपना अंगूठा उसके अन्दर डाल दिया.
और शैतानी हरकत करने लगे कि अपने अंगूठे के नाखून से मुझे चूत के अन्दर दर्द पहुचाने लगे. और मुझे सही में दर्द होने लगा था. मैं छटपटा रही थी. फिर उन्होंने मुझे पलटा दिया और ऊपर उनके मूंह के पास कर दिया. मुझे ऊपर कर के मेरी चूत को चाटने लगे. पापा का लंड मेरे सामने था. मैं भी उनके लंड को चूसने लगी. वो खड़े खड़े ही मुझे 69 पोजीशन में लेकर मजे उठा रहे थे.
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फिर उन्होंने मुझे नीचे छोड़ दिया और मैं पेट के बल नीचे गिर गयी, वो भी नीचे घुटनों के बल बैठ गए और मुझे दीक्षा की तरह कुतिया स्टाइल में बैठा दिया और मेरी चूत में अपना लंड घूसा दिया. आम इंसान की तरह नहीं शैतान की तरह पूरा लंड अन्दर डालने जा रहे थे पर गया नहीं, आधा ही गया और इतने में भी मुझे लगा कि चूत की चमड़ी छिल गयी.
मेरे से रहा नहीं गया उअर मैं कुतिया स्टाइल से नीचे गिर गयी, उन्होने बड़ी बेरहमी से मुझे उठाया और फिर से लंड अंदर डाल दिया, इस बार उन्होंने अपने दोनों हाथो से बने उतने जोर से मेरी चूत को फैला दिया और लंड पूरा का पूरा अन्दर डाल दिया और चोदने लगे.
पापा की चुदाई देखने में जितना मजा आ रहा था उससे कई अच्छा मुझे अब लग रहा था, दर्द तो बेहिसाब हो रहा था पर मेरी मन की इच्छा पूरी हो रही थी. पापा एकदम तेज़ी से मेरी कमर को पकड़ कर चोद रहे थे और ऊह्ह..ओह्ह..ऊह्ह्ह्ह…की आवाज़ लगा रहे थे, उनका हर धक्का मुझे लग रहा था.
अब उन्हें लगने लगा का था की मैं एंजाय करने लगी हूँ तो उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी और मुझे चोदने लगे. फिर उन्होंने मुझे अलग कर दिया और मुझे पकड़ के अपनी गॉद में बिठा लिया और मुझे चोदने लगे. मैं पापा की गोद में बैठकर उन्हें किस करने लगी और उनके बालों को सहलाने लगी. वो बिना रुके मुझे चोदे जा रहे थे.
करीब करीब 15-20 मिनट से मुझे चोद रहे थे. मुझे अपने पति से कभी इतना मज़ा नहीं आया था. दो महीनो से मेरा पति मुझे इतनी बार चोद चुके थे पर कभी मैं झड़ी नहीं थी. अब इतनी चुदाई के बाद मुझे लग रहा था की मैं अब झाड़ने वाली हूँ. पापा मुझे बिना थके चोद रहे थे, मैं पापा को और जोर से और जोर से कह रही थी.
फिर पापा ने मुझे अपने दोनों कंधो से पकड़ा और नीचे कर दिया, मतलब अब मैं जमीन से ऊपर थी पर उनके दोनों हाथो के सहारे थी, और वो मुझे चोद रहे थे. मुझे पापा की ताकत का तब एहसास हुआ की वो ऐसे मुझे हवा में पकड़ कर चोद रहे थे. पर उनकी इस हरकत से मेरी चूत के अन्दर और दबाव बढ़ने लगा और मैं मचलने लगी. मुझे अब लगा की मैं झाड़ने वाली हूँ.
पापा को भी शायद पता चल गया था, पर वो जोर जोर से मुझे लंड से धक्के लगा रहे थे, मैं कन्ट्रोल कर रही थी की मेरा चूत का पानी ना निकले पर मैं हार गयी और मेरे बदन में एक झटका सा लगा और मैंने एक जोर से करवट ली और पापा समझ गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मैं नीचे गिर गयी और उन्होंने लंड बहार निकाल दिया और एक ही सेकंड में मैं झाड गयी.
मुझे इतनी हसीन चुदाई कभी नसीब नहीं हुई थी, मैं खुश हो रही थी. पापा ने मेरी चूत की ओर देखा और मेरी चूत के बहते पानी को देखा.. मैं अब चैन की सांस ली, और पलट कर सीधी हो गयी और पापा को मेरी चूत की ओर देखते देखा और उनके लिए मैंने अपने दोनों पाँव फैला लिये और उन्हें जी भर कर अपनी चूत दिखाने लगी.
मेरी चूत से पहली बार पानी निकला था और मैंने अब जाना की असली चुदाई का सुख क्या होता है. पर अभी पापा का पानी निकलना बाकी था और उन्होंने पास में पडी अपनी धोती को उठाया और मेरी चूत के पानी को पोछा और मेर जी-स्पॉट को मसलने लगे और जो पानी रूक गया था.
वो फिर से झटके ले कर बाहर आने लगा..मैं भी फिर से एक दो बार करवट ले उठी. पर पापा ने मुझे पकड़ा और मेर दोनों पाँव को पकड़ कर फैला लिया और मेरे दोनों हाथो की और ले लिया, इतना मेरे पाव को फैला दिया. फिर मेरे हाथो से ही मेरे पांवो को पकड़ा दिया और मेरी चूत चाटने लगे.
अब मेरी चूत सूख चुकी थी पर वो चाटने लगे थे, उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चूत को बहोत देर तक चाटा और फिर मेरे दोनों बूब्स के निप्पल को पकड़ा और उसे जोर से दबा दिया और फिर से मेर चूत गीली सी होने लगी. उन्होंने फिर मेरी चूत में अपनी दो उंगलिया डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगे. मैं फिर से बेकरार होने लगी थी.
पापा ने फिर मेरी चूत से उंगलिया बाहर निकाली और मेर चूत पर मूंह रक्खा और अपने दोनों हाथो से मेरे गांड के छेद को चौड़ा कर दिया. मैं समझ गयी की अब क्या होने वाला है, उन्होंने धीरे से अपनी एक उंगली मेरे गांड में डाल दी.
‘पापा मैंने कभी इस तरफ नहीं किया है.. प्लीज’ मेरा प्लीज कहने का ये मतलब नहीं था कि पापा मुझे मत चोदो पर मैं ये कहना चाहती थी की गांड जरा आराम से मारना पापा भी समझ गए.
‘मुझे देखते ही पता चल गया था, वरना अब तक तो अन्दर डाल कर खून निकाल दिया होता.’ और उन्होंने जोर लगा कर दूसरी उंगली भी डाल दी. मैं दर्द से कराह उठी…..मेरी गांड में जबरदस्त दर्द हो रहा था. अब तक तो उन्होंने उंगलियों से चोदना भी नहीं शुरू किया था,वो थोड़ी देर रुके और फिर उंगलिया अन्दर बाहर करने लगे. मैं फिर दर्द से कराहने लगी.
फिर उन्होंने ना आव देखा ना ताव और मेरे गांड पर अपना लंड रक्खा और उसे पास में पड़े तेल में नहलाया और थोडा तेल मेरी गांड में भी डाला और लंड धीरे धीरे कर के मेरी गांड में डाल दिया. इतना तेल डालने के बाद भी मेरे से दर्द नहीं सहा जा रहा था.
‘पापा मत करो..प्लीज..मुझसे से नहीं सहा जा रहा.’
‘मैंने कहा था मुझे मजबूर मत करो..’ और मुझे इतना कहकर वो मुस्कुराये और मैं भी उनकी बात पर हंस पडी और उन्होंने मुझे मुस्कुराते देखा और मेरी ओर झुके और मेरे होठो को चूसने लगे, उनका लंड मेरी गांड में था. और वो बिना कुछ किये ही मेरी गांड को जला रहा था.
पर पापा ने मेरे होठो को चूसते चूसते लंड को बाहर निकाला और फिर जोर से अन्दर डाल दिया..मैं पापा के होठो में होठ डालने के बावजूद भी दर्द के मारे ऊपर हो उठी, पर पापा नहीं हटे.. अब मेरी समझ में आया की मेरे मूंह से जोर से चीख ना निकले इसीलिए वो मुझे किस कर रहे थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर वो धीरे धीरे कर के बड़ी बेरहमी से चोदने लगे और जब तक मैं शांत नहीं हुई तब तक वो मुझे किस भी करते रहे. मुझे लगने लगा था कि मेरी गांड सच में फट गयी है पर मैं कुछ नहीं कर सकती थी, पापा मुझे फिर से उसी तेज़ी से चोद रहे थे.
गांड थोड़ी छोटी होने से उनके मूंह से भी दर्द की आवाज़ आ रही थी. पर वो बिना रुके चोद ही रहे थे. बिना झाडे वो तक़रीबन अब एक घंटा होने आया था और वो मुझे चोद रहे थे. फिर उन्होंने मुझे फिर से कुतिया स्टाइल में बिठा दिया और मेरी गांड मारने लगे. मैं अब जोर जोर से दर्द के मारे चिल्ला रही थी.
कुतिया स्टाइल में पता नहीं पापा का लंड तो कुछ और ही पावर में आ जाता था और चूत में तो सह भी लेती पर गांड में नहीं सहा जा रहा था. मैं तकिये पर अपनी मुट्ठिया मारने लगी.. फिर से उन्होंने मुझे 10 मिनट तक चोदा और मैं फिर से अपने आप को रोक नहीं पाई और मैं फिर से झाड गयी. इस बार मेरी हालत ऐसी नहीं थी की मैं बैठ सकू पर मैं फिर भी बैठी और एकदम से मैंने पापा के लंड को पकड़ा और जोर जोर से अपने मुट्ठी में हिलाने लगी ता की उनका वीर्य निकल जाये और वो शांत हो जाये..
फिर मैंने तुरंत उसे अपने मूंह में ले लिया और जम कर चूसने लगी और आखिरकार उनके लंड से जोरदार पिचकारी मेरे मूंह में निकली और मैं फिर भी लंड को हिलाती रही जब तक एक एक बूँद खाली ना हो जाये. फिर मैंने पापा को देखा उनकी आँखों में अब थकावट भी थी और चमक भी. फिर वो अपने घुटनों के बल पर बैठे और सीधे नीचे गिर और लेट गए. मैं भी इतना थक गयी की लेट गयी, तब मुझे ना गांड फटने का दर्द था, ना ही चूत का. हम दोनों बस सोना चाहते थे, दुसरे दिन सब दर्द हुआ तो पता चला की कैसे गांड फटती है..