मेरा नाम सुहानी शाह है और मैं दिल्ली के पंजाबी बाग़ में रहती हूँ. अपनी जॉब के लिए मैं डेली लोकल बस में अप डाउन करती हूँ. वैसे मेरी इवनिंग की बस फिक्स नहीं है. लेकिन मोर्निंग में घर के सामने के स्टॉप से मैं सुबह 10:20 बजे वाली बस में ही होती हूँ. और इस बस के ड्राईवर कंडक्टर दोनों को मैं अच्छे से जानती हूँ.
ड्राईवर भोला भाई परमार एक नम्बर के अच्छे सज्जन आदमी है. और वो सब रेगुलर पेसेंजर से प्यार से पेश आते है. लेकिन कंडक्टर जिसका नाम अनिल भाई भोई हे वो बड़ा ही हरामी है. वो जब बस में गर्दी हो तो लड़कियों को टच करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता है.
अक्सर उसका कडक लंड आप को जांघ की साइड में और गांड पर टच करा देता हैं वो हरामी कंडक्टर. और मेरे साथ भी उसने ऐसा एक दो बार किया है. और फिर अपने खैनी तम्बाकू से गंदे हुए पीले दांत भी दिखाए है.
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और आज की ये सेक्सी कहानी ऐसे ही एक किस्से की है. उस दिन बस में बहुत भीड़ थी. मुझे भी जगह नहीं मिली थी. मैं कंडक्टर की सिट से दो लाइन छोड़ के खड़ी थी. हाथ से चमड़े के लटकते हुए पट्टे को पकड़ा हुआ था. डीजल का धुआँ और लोगो के पसीने की महक से घिन सी हो रही थी. लेकिन दिहाड़ी भी तो लगानी ही लगानी थी.
तभी अपने पंच को टिक टिक करवाता हुआ कंडक्टर आया. मैं समझा के पीछे हो गई ताकि वो मेरे कूल्हों के ऊपर अपना लंड ना घिस सके. वो मेरे पास आया, मेरा पास देखा और फिर आगे बढ़ा. उसकी सिट के पास में एक मुस्लिम लेडी खडी थी.
उसने पुरे बदन पर काला बुरका पहना था लेकिन उसका चहरा खुला हुआ था. इस लेडी के पास जा के टिकिट मांगी तो उसने टिकिट ले ली. और फिर कंडक्टर ने आगे बढ़ने के समय अपना लंड उसकी गांड पर घिसा. वो लेडी को लगा की शायद भीड़ की वजह से ऐसा हुआ था.
लेकिन जब उसने कुछ नहीं कहा तो कंडक्टर की हिम्मत बढ़ गई. और वो वही रुक गया और दुसरो की टिकिट पास का काम करने लगा. उसका लंड अभी भी उस मुस्लिम लेडी की गांड पर ही था.
अब वो लेडी भी समझ चुकी थी. लेकिन शायद उसको भी मजा मिल रहा था गरम गरम लंड अपनी गांड पर टच करवा के. क्यूंकि मैंने देखा की वो जानबूझ के पीछे हो रही थी कंडक्टर की तरफ, बाप रे हिम्मत तो देखो!
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कंडक्टर तो ऐसी मुर्गी की ही तलाश में था. लेकिन वो ज्यादा रुक भी नहीं सकता था. क्यूंकि बाकी के पेसेंजर को शक हो जाता. इसलिए वो आगे बढ़ा. साले ने अपने खड़े लंड को छिपाने के लिए उसके ऊपर बेग को खिंच लिया. मेरा तो पूरा ध्यान वही पर था. इसलिए मुझे बेग के पीछे भी उसकी ऊपर हुई पेंट देखने में कोई प्रॉब्लम नहीं हुआ.
वो अपना काम निपटा के जैसे ही अपनी सिट के पास आया. तो वो मुस्लिम लेडी भी उसके पास सी हो गई. कंडक्टर की सिट पर एक बूढी बैठी हुई थी. उसने उसे उठा दिया और खुद बैठ गया. फिर बेग आगे कर के उस बूढी को और भी दूर कर दिया. और वो मुस्लिम लेडी की तरफ देखा उसने. वो लेडी जैसे कंडक्टर की आँखों की बात समझ के उसके और भी पास आ गई.
कंडक्टर की तरफ वो अपनी गांड कर के खड़ी हो गई. और कंडक्टर ने धीरे से अपने हाथ को आगे कर के एक बार गांड को छू लिया. वो लेडी कुछ नहीं बोली लेकिन उसने कंडक्टर को स्माइल दे दी.
अब भला मर्द को चूत और शेर को गोश्त मिल जाए फिर वो उसको थोड़ी छोड़ता है. कंडक्टर ने बस की भीड़ का फायदा लेना चाहा. उसने जिस बूढीया को सीट से उठाया था उसको कहा माजी आप बैठ जाओ.
और फिर वो साला हरामी इस लेडी के पीछे जा के खड़ा हो गया. उसके लंड को उसने उस मुस्लिम औरत की गांड पर लगा दिया था. जब जब बस झटका खाती थी या फिर खड्डे में गिरती थी तो उसका लंड जरुर इस लेडी की गांड की दरार में चिभता होगा.
वो दोनों की मस्ती फुल जोर में चालु थी. कंडक्टर बिच बिच में अपने हाथ को आगे बेग चेक करने के बहाने से ले के जाता था, और वो उस औरत की गांड की सॉफ्टनेस को चेक करता था. पता नहीं ये सब करने की हिम्मत वो दोनों को चलती हुई बस में कहा से मिल रही थी. साले दोनों के चहरे पर तो ऐसे था की कुछ हुआ ही नही.
गांड पर लंड घिसने का ये काम कुछ पांच मिनिट तक थोड़े थोड़े अन्तराल के साथ चलता ही रहा. और फिर वो लेडी के उतरने का स्टॉप आ गया. वो लास्ट
वाले से दूसरा स्टेप था. और मैं लास्ट स्टेप पर उतरी. और जब मैंने कंडक्टर की तरफ देखा तो उसकी पेंट के ऊपर आगे पेनिस वाली जगह पर कुछ दाग बने हुए थे. साले हरामी का पानी निकल गया था और उसकी पेंट गन्दी हो गई थी!