ऑफिस की नयी लड़की को पार्किंग एरिया में जमकर चोदा :- Antarvasna

अब अपनी मर्दानगी का जोश दिखाओ और अपनी सारी सेक्सुअल टेंशन मेरी लेटेस्ट स्टोरी पढ़ते हुए वीर्य के साथ बाहर निकाल दो.

तुम्हारी सेक्सी बेब सिमरन ने एक बार अपनी ऑफिस की एक कुतिया को ऐसा सबक सिखाया था कि वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने ऑफिस छोड़ दिया.

यहां देखो कि सीनियर सेक्स असल में हुआ कैसे था …

मैं अपनी साइट वर्क के एक लंबे टूर से बहुत दिनों बाद अपने ऑफिस के डेस्क पर लौटी थी.
ऑफिस में प्रोमोशन की बातें चल रही थीं. ऑफिस का हर बंदा अपने बॉस की गांड चाटने में लगा था ताकि उसका प्रोमोशन हो जाए.

मगर अदिति की तरह नहीं … वो कुछ ज्यादा ही गांड में घुस रही थी.

अदिति मेरे से एक या दो साल छोटी है, नॉर्मल सी हाइट है उसकी, स्लिम है मगर फिगर बहुत अच्छी है.

उसने कंपनी में एक इंटर्न की तरह ज्वॉइन किया था और वो मेरी ही टीम में काम रही थी.

उसने मेरे कुलीग (सहकर्मी) सिद्धार्थ को पटाने की कोशिश की, जिसे असिस्टेंट मैनेजर बनाया गया था.
अदिति चाहती थी कि वो भी इस प्रोजेक्ट में एक स्थायी कर्मचारी बन जाए.

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मैं शुरू वाले दिन से ही उसकी नजरों में देख सकती थी कि वह जल्दी से जल्दी आगे बढ़ना चाह रही थी और सफलता की सीढ़ी जल्दी चढ़ना चाहती थी.
ऐसा नहीं है कि मुझे इसकी परवाह थी!
कम से कम में भी नहीं.

मगर जब भी हम कर सकते थे हमने एक दूसरे की टांग खींची.

एक दिन बोर्डरूम मीटिंग के बाद मैं वाशरूम में चली गयी.

जब मैं आईने में अपनी सुडौल चूतड़ों को देख रही थी (और ऐसा करते हुए बहुत गर्व महसूस कर रही थी!), अदिति वॉशरूम में चली गई और मेरी बॉडी को लेकर उसने एक चुभने वाला कमेंट किया.

अदिति- हम्म … ये सही है, इस पिलपिली गांड पर किसी को तो ध्यान देना चाहिए क्योंकि और तो कोई ऑफिस में इसको देखता नहीं है, ऊह्ह … बहुत ही दुख की बात है.

मैं- हम्म … तुझे भी गुड मार्निंग ऑफिस की रंडी, यहां अपनी चूत साफ करने आई है शायद!

अदिति जाहिर तौर पर नाराज़ लेकिन खुद को संभालती हुई- चूत ने मुझे याद दिलाया … सिद्धार्थ उस दिन बात कर रहे थे कि हम तुम्हें ऑन-साइट ड्यूटी पर वापस भेज दें.

मैं- तुम्हारा मतलब है, जब तुम उसका लौड़ा चूस रही थी तो तुमने उससे ऐसा करने के लिए विनती की? और फिर उसने तेरे चेहरे पर माल निकाला और बिना ध्यान दिए तुझे वहीं अकेली छोड़ दिया?

अदिति- एक्सक्यूज मी! हम पार्टनर हैं. इतना जलो मत क्योंकि तुम्हारी चूत को उसका लंड नहीं मिला, हुह …

यह सुनकर मैंने उसे सबक सिखाने का फैसला किया.
मुझे पता था कि सिद्धार्थ बस उसके शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहा था जैसे वह उसे एक सिफारिशी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही थी.

अदिति को यह नहीं पता था कि जब मैं सिंगल थी तो सिद्धार्थ मेरे साथ फ्लर्ट करता था.

मैं चाहती थी कि अदिति सुने कि सिद्धार्थ वास्तव में उसके बारे में क्या कहता है.
ऐसा करने के लिए, मैंने एक चालू प्लान बनाया और सिद्धार्थ के केबिन में चली गई.

जब सिद्धार्थ मेरा स्वागत करके मेरे ऑन-साइट काम और मैरिड लाइफ के बारे में पूछ रहा था, मैं सीधी उसकी ओर चल पड़ी और उसकी गोद में बैठ गयी.

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मैं अपने बैठने की पोजीशन को एडजस्ट करते हुए उसके लंड पर गांड को रगड़ते हुए उसके बालों को सहलाने लगी.

सिद्धार्थ- ओह्ह फक … प्लीज कह दो कि ये कोई सपना नहीं है!
मैं- नहीं स्वीटहार्ट, ये तुम्हारी फेंटेसी है जो आज पूरी हो रही है.
मादक धीमी आवाज में ये बोलते हुए मैं अपने होंठ उसके चेहरे के पास ले गयी.

सिद्धार्थ ने मुझे उठाया और केबिन से अगले दरवाजे के अंदर ले गया जहां पर एक सोफा रखा था.
मैंने उसको मेरी गांड को भींचने से रोका.
मैं नहीं चाहती थी कि उसको पूरा मजा मिले.

सिद्धार्थ- ओह ठीक है, कम से कम मैं इतना तो करके बिना थप्पड़ खाए दूर हो गया. उस एक बार तुमने मुझे सिर्फ अपनी गांड छूने के लिए थप्पड़ मारा था.

मैं- मैं उस वक्त इसके लिए तैयार नहीं थी और सच कहूं तो वह मुझे मेरी बेइज्जती लगी थी.

इससे पहले वो कुछ और कहता, मैंने ही आगे कह दिया- आज की बात अलग है. आज मैं कुछ गंदा करने के मूड में हूं.
सिद्धार्थ- तो चलो, शुरू करते हैं.

उसने मुझे मेरे होंठों पर किस करने के लिए चेहरा पास लाया मगर मैंने उसे समय रहते रोक दिया.
मैं- रुको … ये ठीक जगह नहीं है, हम यह सब पार्किंग लॉट में लंच टाइम के दौरान करेंगे.

मैंने उसकी पकड़ से खुद को छुड़ा लिया और अपनी पहली उंगली से उसके होंठों को सहलाते हुए उसको असली काम (चुदाई) के लिए उकसाया.

मैं- और याद रहे, मैं देखना चाहती हूं कि तुम मेरी बॉडी के लिए कितना तरस सकते हो, मैं आसानी से अपनी टांगें नहीं खोलने वाली.

सिद्धार्थ को अपने चंगुल में लेने के बाद मैं अदिति के पास गयी, उसको दूसरे तरीके से चिढ़ाने के लिए.
जब मैं उसके डेस्क पर पहुंची, मैंने देखा कि वो लैपटॉप की ब्लैक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए हुए थी.

मैं सहज रही और मैंने यह तय किया कि मैं अपनी एक कुलीग के साथ जो बातचीत करूंगी वो उसको जरूर सुनाई दे.

जब मैंने अपनी कुलीग से कहा कि मैं लंच के लिए जा रही हूं तो उसका चेहरा पीला पड़ गया.
लंच से पहले के वो घंटे अदिति के लिए बेचैनी भरे हो गए.
इस दौरान वो कई बार वॉशरूम गई.

लंच टाइम में मैं और सिद्धार्थ दोनों ही लिफ्ट के अंदर गए. मैंने देखा कि अदिति हमें देखने के बाद चौंक गई थी और वो अपने इस भाव को नॉर्मल रहते हुए छुपाने की कोशिश कर रही थी.

हम नीचे ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचे.
मगर इससे पहले कि मैं आगे जाती मैं ये देखना चाहती थी कि अदिति हमारा पीछा कर रही है या नहीं.
मैं वहीं रुक कर उसको देखने लगी.

सिद्धार्थ- सिमरन, हम यहाँ क्या कर रहे हैं? मैं बता रहा हूं; हमें छुट्टी लेकर अपने घर जाकर मजा करना चाहिए.

जब सिद्धार्थ मुझे बेवफा पत्नी बनने के लिए राजी कर रहा था उस वक्त मैं देख रही थी कि अदिति भूत बनकर सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी ताकि उसको कोई देख न ले.

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जब मुझे इस बात का यकीन हो गया कि उसने हमें देख लिया है तो मैं बेसमेंट की ओर बढ़ने लगी.
सिद्धार्थ मेरे पीछे पीछे आ रहा था.

हम पार्किंग के एक कोने में गए और हमने वहां पर एक एसयूवी के पीछे अपनी जगह ले ली.

सिद्धार्थ ने मुझे मेरी गांड से पकड़ लिया और अपने होठों को मेरी गर्दन पर बेतहाशा रगड़ने लगा.

वह इतना उत्तेजित हो गया कि उसने अपना लंड मेरी जाँघों से कस रगड़ना शुरू कर दिया.
हर समय वह फुसफुसा रहा था कि वह मुझे कितना चाहता है और वह चीजें जो वह मेरे साथ करना चाहता है.

जब उसने मेरी कमीज का बटन खोलने की कोशिश की तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर उससे कहा कि यह कोई तरीका नहीं है.
मैं- जैसा कि मैंने कहा, यह इतना आसान नहीं होने वाला है. मैं चाहती हूं कि तुम इसे मेहनत से पाओ, न कि इसे मुफ्त में लो.

सिद्धार्थ मेरी चूत में अपना लंड डालने के लिए मरा जा रहा था.
जब मैंने उसे रोका तो वह बेचैन हो गया और हताश आदमी की तरह अपने बाल खींचने लगा.

मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर सकती थी और उसके व्यवहार से काफी घबराया हुआ था वो!
मुझे डर था कि अगर मैंने उसे कंट्रोल नहीं किया तो वह गुस्से में आ सकता है.

मैं- शांत हो जाओ, डार्लिंग! मैं तुम्हें इस कार को उठाने के लिए नहीं कह रही हूं. बस मुझे दिखाओ कि तुम इस बॉडी की कितनी तारीफ करते हो. मुझे दिखाओ कि मेरे सीनियर होने के बावजूद, तुम मेरे हुक्म मानोगे. क्या तुम मेरे दास बनने को तैयार हो?

ये शब्द कहते ही मेरी नाक के सिरे से पसीने की बूंदें टपकने लगीं.
उस जगह को चुदाई के लिए चुनना सबसे खराब निर्णय था लेकिन उस तेज कामुक गर्म क्षण में, हम दोनों में से किसी ने भी परवाह नहीं की.

सिद्धार्थ- सिमरन, मैं तुम्हारे सभी हुक्म मानूंगा. मुझे बताओ, मुझे बताओ कि तुम मुझसे क्या चाहती हो?

जब मैं सिद्धार्थ की हालत का आनंद ले रही थी, मैंने देखा कि अदिति हमसे करीब 15 गज दूर उस खंभे के पास खड़ी थी.
मैं उसके पार्किंग लॉट के दायीं ओर से आने की उम्मीद कर रही थी.
इसके बजाय उस चालू कुतिया ने दूसरा रास्ता अपनाया था.

जैसे ही मैंने उसका उदास सा चेहरा देखा, मैं उत्साहित हो गयी.
निर्दयी डॉमीनेटरिक्स- मेरे अंदर के अस्थिर अहंकार को एक ही समय में दो लोगों को सबक सिखाने का मौका मिला.

मैं- सिद्धार्थ, मैं तुम्हारे साथ कुत्ते जैसा व्यवहार करना चाहती हूं. तो, आओ, अपने कपड़े उतारो और मेरे सामने झुको जैसे तुम अभी कर रहे हो.

उसने मेरे आदेश के अनुसार किया और जमीन पर घुटने टेक दिए.

उसका पसीना लगातार कंक्रीट के फर्श पर टपक रहा था.
लेकिन उस हालत में भी उसका लंड तना हुआ था और उसका तनाव साफ उसके कपड़ों में दिख रहा था.

मैंने अपनी पसीने से तर शर्ट का बटन खोल दिया और अपनी भीगी हुई ब्रा को खींच लिया ताकि मेरे सुनहरे और रसीले चूचों को उजागर किया जा सके.

इसने मुझे बेहतर महसूस कराया और उसके लंड का तनाव भी बढ़ता गया.
फिर मैंने उसे हुक्म दिया कि वह अपने मुंह से मेरी पैंटी खींचे और मेरी पसीने से तर चूत को चाटे.

उसने जोश के साथ अपनी नाक को मेरी स्कर्ट की में धकेल दिया.
मैं धीरे से कराह उठी, जब उसकी नाक के सख्त सिरे ने मेरी उत्तेजित चूत के होंठों को छुआ.
मगर सिद्धार्थ मेरी पैंटी खींचने की बजाय मेरी चूत चाटने लगा.

मैं उसके गाल पर जोर से थप्पड़ मारते हुए- मेरी चूत चाटना बंद करो! किस तरह के कुत्ते हो तुम? मैंने तुमसे कहा था कि मेरी पैंटी बाहर खींचो.

सिद्धार्थ ने मेरी पैंटी की नोक पर चबाया लेकिन फिर अपने हाथ डाले और मेरे चूतड़ों को सहलाया.
वह मेरी पैंटी खींच रहा था लेकिन मेरी गांड को दबा रहा था और उसका आनंद ले रहा था.

मैंने फिर उसके लंड पर पांव रखा जिससे वह दर्द से चिल्लाने लगा.
मैं- चालाकी मत दिखाओ, तुम एक कमबख्त कुत्ते हो और जैसा मैं कहूँगी वैसा ही करोगे.

उसने आखिरकार मेरी पैंटी निकाली और उसको लंबी-लंबी सांसों से सूंघने लगा.
मैंने उसके सूंघने के तरीके की तारीफ की और उसके हाथों से पैंटी खींच ली.
मेरी पैंटी के बिना मैं पहले से बेहतर महसूस कर रही थी.

मैंने अपनी स्कर्ट ट्राउजर को उठा लिया और उसे अपनी क्लीन शेव पसीने से तर गुलाबी चूत दिखाई, जिसमें त्वचा की दो पंखुड़ियाँ थोड़ी उभरी हुई थीं.
मैं- कैसी है यह चूत? या तुम्हें अदिति की चूत ज्यादा पसंद है?

सिद्धार्थ- बिलकुल नहीं! उसकी चूत बालों वाली है और सेक्स के दौरान बदबू छोड़ती है. उस कुतिया को चोदते हुए मैं हमेशा अपना मूड खराब कर लेता हूं.

मैं- मेरे आज्ञाकारी कुत्ते! अब तुम मेरी चूत चाट सकते हो. ये ध्यान रखना कि चूत केवल अपना रस निकाले, पसीना नहीं.

सिद्धार्थ ने अपने होंठों को मेरी चूत के अंदर धकेल दिया और मेरी जीभ चुदाई करने लगा.

मुझे उसके लिए इसे आसान बनाने के लिए अपने पैरों को अजीब तरीके से फैलाना पड़ा.
सिद्धार्थ से जो मजा मिल रहा था, मैंने तय किया कि वो अदिति को जरूर दिखे.

मैं- अब किसके पास एक बदबूदार चूत है … साली, पागल कुतिया?
मैंने अदिति की ओर देखते हुए आँखों से जताया.

सिद्धार्थ ने असमंजस में ऊपर देखा, लेकिन मैंने अपनी स्कर्ट उस पर गिरा दी. कुछ मिनटों के बाद, मैंने उसे अपनी स्कर्ट से बाहर निकाला और पूछा कि अदिति के साथ उसका रिश्ता कैसा चल रहा है.

सिद्धार्थ- ओह, मैं उस कुतिया से तंग आ गया हूँ! मैं जल्द ही उससे छुटकारा पा रहा हूं. काश मैं बहुत समय पहले आपका गुलाम बन जाता.

यह सुनकर मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने उसे एक बार फिर अपनी चूत चाटने को कहा.

मेरी टांगें कांप रही थीं जबकि मैंने उसकी गीली जीभ को अपनी चूत की लाइन में तेजी से प्यार किया.
मैंने थोड़ा सीत्कार किया लेकिन जगह और लोगों की वजह से अपनी भावनाओं को कंट्रोल रखा.

मैं- ओह माय! मुझे लगा कि तुम दोनों एक कमिटेड रिलेशनशिप में हो!

सिद्धार्थ- नहीं … हम दोनों अपने अपने फायदे के लिए साथ थे. हम दोनों के इरादे छिपे हैं लेकिन एक-दूसरे से प्यार करने का दिखावा करते हैं. मेरा मतलब है, वह कुतिया सोचती है कि वह मुझे प्रोमोशन पाने के लिए बहका सकती है और फिर मुझे दूसरे लड़के के लिए डंप कर सकती है. बड़ा मौका! मैं उसे दूसरी जगह ट्रांसफर कर रहा हूं.

जब वह बात कर रहा था तो मैं उत्तेजना को चरम पर बनाए रखने के लिए अपनी चूत को रगड़ रही थी.
लेकिन उसने जो कहा उसे सुनने के बाद, मेरी चूत ने दो छोटी फुहारों में चिपचिपा पानी निकाल दिया.

सिद्धार्थ ने मौका देखा और मेरी गीली लाल चूत में उंगली करने लगा.
मैं- आह! हां हां हां! हम्म, कुत्ते … चोदते रहो … ऐसे ही … आह्ह.

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मुझे अपनी चूत के बचे हुए पानी को थोड़ा सा धक्का देकर बाहर निकालना पड़ा.
उस तेज पल के बाद मैं जोर से सांस ले रही थी और सिद्धार्थ को अपने सीने से कसकर पकड़ने की इच्छा महसूस कर रही थी.

जैसे ही मैंने अपनी बाँहों को थोड़ा ऊपर उठाया, वह समझ गया कि मैं क्या चाहती हूँ.
सिद्धार्थ ने मुझे कस कर पकड़ लिया और अपने सख्त लंड को मेरी भीगी हुई चूत से रगड़ने लगा.
उसके पसीने से तर लंड का सिरा मेरी संवेदनशील चूत को छू रहा था.

वह मेरे कोमल गालों को अपने खुरदरे हाथों से भींच रहा था और उत्तेजना से उन्हें अलग कर रहा था.

मैंने उसे अपने से दूर धकेल दिया और उसका लंड पकड़ लिया- क्या? तुम उसे सीधे इग्नोर क्यों नहीं कर देते?
सिद्धार्थ- क्या हम इस पर बाद में बात नहीं कर सकते? हाय भगवान्! जब मेरे पास समय था तो मैंने अपने लंड को अंदर क्यों नहीं धकेला?

कुछ देर की हताशा के बाद उसने बोलना जारी रखा- वह चूसने वाली कुतिया जैसी है. इससे पहले कि वह मेरे जीवन का आनंद चूस कर खत्म कर दे, मैं उससे दूर हो जाना चाहता हूँ. मैं उसे यह कहते हुए किसी दूसरी जगह पर भेज दूंगा कि यह फिलहाल अभी के लिए है. फिर, वहां का मैनेजमेंट उसे अलग अलग जगहों पर ट्रांसफर करता रहेगा.
अगर वह होशियार है, तो वह इस्तीफा दे देगी. अब प्लीज मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने दो! मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद चखना है.

वह हताशा में गिड़गिड़ाया.

सिद्धार्थ ने अपने धड़कते हुए धड़कते हुए लंड को कसकर पकड़ लिया और मुझसे इसे देखने की भीख माँगी.
मैं उस लंड का स्वाद चखना चाहती थी इसलिए मैंने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया.

उसके पास कोई मांसपेशियों की ताकत नहीं थी और उसकी गंदी गांड ने मुझे उसके बेकार व्यवहार की याद दिला दी.
मैंने उसका लंड भींचा जो उत्तेजित हो गया और उसे साथ ही दर्द भी हुआ.

मैंने उसके मुलायम, असमान चूतड़ों पर थप्पड़ मारना शुरू कर दिया और उसे एक कसम खिलाई कि वह कभी भी मेरे साथ रंडी जैसा व्यवहार नहीं करेगा.

मैं- भौंको हरामी कुत्ते … क्या तुम इसी तरह मेरे दास बने रहोगे?
सिद्धार्थ – हाँ, हाँ, बंद करो, ये चुभ रहा है! मैं तुम्हारा कुत्ता बनूंगा. कृपया इस कुत्ते को संतुष्ट करो! प्लीज़.

मैंने उसका लंड अपनी चूत में डलवाया जबकि उसने मेरे चूचों में अपना चेहरा धंसा दिया.
उसने सहारा लेने के लिए मेरी गांड के गाल पकड़ लिए और मेरी चूत को तेज़ तेज चोदने लगा.

मगर जिस तरह से वह शुरू करने के बाद धीमा हो गया, मैंने महसूस किया कि वह खाली होने वाला था.
मैंने उसका लंड ठीक समय पर बाहर निकाल दिया और जैसे ही निकाला उसके लंड से वीर्य की मोटी पिचकारी छूट पड़ी.

उसके पास जितना भी माल था उसने सारा बाहर निकाल दिया.
उसका कुछ हिस्सा मेरी पैंटी में गिरा और बाकी का मेरे पेट पर लगा जिसे मैंने मसल दिया.

ये सब होने के बाद अब सिद्धार्थ के पैरों में खड़े होने लायक जान भी नहीं बची थी. वह नंगी ही पास के कोने में बैठ गया और भारी भारी सांसें लेने लगा.
दूसरी तरफ मैंने उससे और अदिति से सब कुछ निकाल लिया था.
अदिति भी वहीं खड़ी थी अब तक!

पैंटी पहने बिना ही मैंने अपने कपड़े ऊपर किए और उनको ठीक किया.
जल्दी से मैंने खुद को पूरी ठीक किया और मैं वहां से निकलने लगी.

मैंने सिद्धार्थ को वहीं पर हारे हुए इन्सान की तरह नंगा बैठा छोड़ दिया.

वहां से निकलते हुए मैंने अपनी वीर्य और पसीने से सनी पैंटी को अदिति के मुंह पर फेंक दिया.
पेंटी फेंक कर मैं उसके पास से संतुष्टि भरी स्माइल करती हुई निकल गयी.

दोस्तो, आप सब लौंडों और लौंडियों को मेरी सीनियर सेक्स स्टोरी पसंद आई होगी.

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